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डॉन की दर्दनाक मौत: मारने के पहले किया टॉर्चर , क्या मरने के बाद फिर मारी गोली !

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Munna Bajrangi
Munna Bajrangi file photo

बागपत जेल में पूर्वांचल के आतंक माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, लेकिन इस घटना में कई सवाल भी खड़े कर दिये है ! सबसे बड़ा सवाल तो यहीं है की क्या योजना बनाकर डॉन को मारा गया ! जैसा की उसने पहले ही आशंका व्यक्त कर दी थी ! साथ ही उसकी पत्नी सीमा सिंह ने प्रेस कॉन्फरेंस करके अपना डर भी व्यक्त कर दिया था !

यहाँ मै विवेचना करना चाहूंगा सोशल मीडिया पर वायरल हो रही दो तस्वीरों का ! दोनों तस्वीर में दो तरह से घटना दिख रही है जिससे जाहिर हो रहा है की उसे मारने से पहले उसका जमकर टार्चर किया गया ! फ़िर उसके शव के साथ भी दुर्दशा की गई !

जिससे जाहिर होता है की उसने किसी ऐसे व्यक्ति को छेड़ दिया था जो अपराध जगत में उसका भी बाप था और उसकी राजनीतिक पकड़ मुन्ना के गॉडफादर मुख्तार अंसारी से कई गुना अधिक थी ! शायद यहीं वजह थी की जेल यानी पुलिस की सुरक्षा में भी मुन्ना सुरक्षित नहीं रहा !शायद कोई था जिसकी निगा​हों में मुन्ना की मुन्नागिरी यानि गुण्डागिरी रास नहीं आ रही थी। परत दर परत 40 मर्डर करने वाले मुन्ना के अपराधिक जीवन पर पूर्ण विराम करने के लिये कोई सोच चुका था। बागपत में जब मुन्ना के उपर रंगदारी का मुकदमा दर्ज किया गया तभी शायद उसे अहसास हो गया था कि उसके जीवन की यात्रा को समाप्त करने का प्लान बनाया जा चुका है। मुन्ना के बाद उसकी पत्नी सीमा सिंह ने भी प्रेस कांफ्रेन्स करके हत्या की आशंका जता चुके थे। यदि इन दोनों के बयानों और मुन्ना की हत्या पर गौर किया जाये तो एक मास्टर प्लान के तहत मुन्ना के अपराधिक जीवन पर विराम लगाने की कवायद शुरू कर दी गयी थी।

सोमवार की सुबह मुन्ना बजरंगी के हत्या की खबर के साथ तमाम तरह की बातें शुरू हो गयी। जेल के अंदर हुई हत्या का फोटा भी वायरल होने लगा। गोली चलाने वाले सुनील राठी का नाम तो आया किन्तु हत्या में प्रयुक्त असलहे को गटर में डालने का मौका भी दे दिया गया। जिस मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी की दुश्मन जग जाहिर थी, उसी राठी को मुन्ना के बैरक में ही रखा गया। जिससे जाहिर होता है कि बागपत की जेल में जो हो रहा था उसमें एक सोची समझी स्कीम के तहत प्लान बनाया गया था। यह भी हो सकता है कि कुछ ऐसे लोग भी उस समय मौजूद हों जो मुन्न को बेबस करके उसे टार्चर भी किये हों। आखिर जो व्यक्ति पुलिस की व्यवस्था में छेंद कर सकता है उसे इतना करने में क्या परेशानी हो सकती थी।

अब बात करते हैं सोशल मीडिया पर वायरल फोटो की। शुरूआती बयान में कहा गया था कि मौका देखकर सुबह ही राठी ने मुन्ना को गोली मार दी और गन को गटर में फेंक दिया। सोचने वाली बात है कि यदि दोनों बैरक में बंद थे तो बैरक में गटर और गन कहां से आ गयी। फोटो देखने से लगता है कि मुन्ना को गोली दूर से नहीं बल्कि सिर से सटाकर गोली मारी गयी थी। गोली लगने के बाद उसका भेजा बिखरा पड़ा था। जबकि दूर से गोली मारने पर ऐसा नहीं हो सकता था। यदि यह भी मान लें कि हत्या में किसी पावरफुल गन का इस्तेमाल किया गया था तो पूरा चेहरा उड़ जाना चाहिये था, जबकि चेहरा साफ तौर पर पहचान में आ रहा है, लेकिन भेजा निकलकर बाहर आ गया था, जो गन सटाकर गोली मारने पर ही ऐसा हो सकता है।

मुन्ना बजरंगी की हत्या कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। बल्कि फूलप्रूफ प्लान के तहत मुन्ना को बेबस करके और बैरक में उससे कई बातें की गयी होगी और टार्चर करने के बाद ही गोली मारी गयी। मुन्ना के शव की जो फोटो वायरल की गयी है, उसके एक फोटो में सीने पर गोली नहीं लगी है, जबकि दूसरे फोटो में सीने पर गोली लगी है। य​हीं नहीं उसके हाथ भी टूटे लग रहे हैं, जिससे साबित होता है कि उसे मारने से पहले टार्चर किया गया और आराम से गन सटाकर गोली मार दी गयी।

खैर मुन्ना बजरंगी अब दूसरी दुनिया में आराम फरमा रहा है, उसके अपराधिक इतिहास का अंत हो चुका है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार पर अंगुली उठाने वाली भाजपा सरकार के उपर एक ऐसा दाग भी लग गया है जो विपक्ष को मुद्दा दे दिया है। यह एक कुख्यात अपराधी की हत्या हुई इसलिये अभी लोग चुप हैं, किन्तु दबी आवाज में विपक्ष यह भी कहने लगा है कि जब जेल में भी लोग सुरक्षित नहीं है तों बाहर कैसे सुरक्षित रहेगें। खैर यह हत्या एक प्लान मर्डर है या कुछ और, लेकिन पूर्वांचल में अपराधियों और पुलिस के बीच चल रहे गठजोड़ का खुलाशा एक बार फिर हो गया है। साथ ही यह संदेश भी फैल गया है कि सरकार चाहे जिसकी भी हो बोलबाला अपराधियों का ही रहेगा।