Home मुंबई दीपावली स्नेह सम्मेलन के साथ साहित्यकारों की सजी महफ़िल

दीपावली स्नेह सम्मेलन के साथ साहित्यकारों की सजी महफ़िल

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हमार पूर्वांचल
स्नेह सम्मेलन

मुम्बई-सांताक्रुज (पूर्व):युग प्रवर्तक साहित्य संस्थान के तत्वावधान में परम हाऊस सभागृह में दिनांक 18 नवम्बर 2018 रविवार को दीपावली स्नेह सम्मेलन एवं कवि सुदामा पाण्डेयजी (धूमिल) क़ी जयन्ती धूमधाम से मनाई गई, जिसके उपलक्ष्य में साहित्यकारों की सजी महफ़िल जिसमें श्रोताओं ने खूब वाहवाही की।
इस अवसर पर राजेशकुमारी ‘राज’ एवं धूमिलजी के पौत्र श्रीकांत र. पाण्डेय का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम क़ी अध्यक्षता हौशिला प्रसाद “अन्वेषी” ने क़ी तथा कार्यक्रम का संचालन ‘महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी’ से सम्मानित एवं संस्थान के संस्थापक श्री दिनेश बैसवारी ने किया।
इस अवसर पर कविता पाठ करने वालों में शिवप्रकाश जौनपुरी, रमेश श्रीवास्तव, रवि यादव, जवाहरलाल निर्झर, शिवकुमार वर्मा ‘कुमार’,एड.अनिल शर्मा, के.डी.शुक्ल, श्रीनाथ शर्मा, तरुण गुप्ता, राम प्रताप सिंह, सुशील शुक्ल ‘नाचीज’, सूर्यकांत शुक्ल, गीतकार रामजी कनौजिया, बी.एल.कुंवारा, शोभा स्वप्निल, इंदु मिश्रा, सुमन तिवारी एवं रीना मिश्रा आदि साहित्यकार उपस्थित थे, उक्त कवियों में कुछ की रचनाएँ प्रमुख रही-

श्री दिनेश बैसवारी जी-

एक तो जलधि,दूजे धार मझधार वाला,
ऐसे ही किनारे का कगार नहीं मिलता।
फिर भी दिनेश उसे साहस की ज्योति देने,
नभ से किसी का उपचार नहीं मिलता ।।

श्री शिवप्रकाश जौनपुरी-

चार माह की नींद से,देव उठ गये आज।
शुरू हुआ संसार में,शुभ मंगलमय काज ।।

एडवोकेट अनिल शर्मा-

साहिल,दरिया,समंदर,रेत,
लहरें,तूफान,पर्वत,खेत।
खुशबू,मौसम,फूल,दरिचे,
वन-उपवन,बाग-बगीचे।
सूरज,चाँद,सितारों की बारात जो है,
ये सभी तुम्हारे अहसास ही तो है।।

श्रीमती शोभा स्वप्नील-

दीप प्रकाश का पर्याय भी है,
है आस्था का भी प्रतीक राम के बिना।
अयोध्या में अंधेरा नहीं,दिलों में दुखः का तमस था,
राम के आगमन पर,
दीप सुख का आह्वाहन भी था,
और प्रशन्नता का भी प्रतीक ।।

श्री सुशील शुक्ल “नाचीज़”-

न जाने कितने जन्मों की उदासी छाई है,
इस विराने खंडहर से मन पर।
बेतहाशा भागती जिंदगी की गाड़ी,
छोड़ती जाती है अपने पीछे ।।

श्री शिवकुमार वर्मा –

मान्यवर विनती सुनो,अर्जी हमारी है,
मत कहो की वेदना,फर्जी तुम्हारी है।
मै बनाना चाहता हूँ,आदमी तुमको,
तुम बनो या ना बनो,मर्जी तुम्हारी है।।

अंत में संस्थाध्यक्ष, साहित्यसेवी श्री महावीर प्रसाद अग्रवाल “नेवटिया” ने आये हुए सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और कार्यक्रम का समापन किया।

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