रिपोर्टर : शंभुनाथ यादव
ठाणे: 10 साल पहले कल्पना की शादी हुई थी, जबकि उनके घर में अठारह से बीस लोगों का बड़ा परिवार था जो की काफी गरीब था। हालांकि, उसके सासुरल की परिस्थितिया इतनी विकट थी के उनके पास कुछ भी नही था। वह छह साल पहले दिवाली के त्योहार में सड़क पर दीपावली के दिया और बाती बेचा करती थी। उस समय उनकी पहली दिपावली खुशी से गुजर गई। आज समय ऐसा है उनके द्वारा बनाये गए दीपावली के दिये और बाती देश और विदेशों में ट्रान्सपोर्ट किया जा रहे है। दीपावली की चमक और प्रतिभाओं ने अंधेरे जीवन में प्रकाश की रोशनी को जन्म दिया है।
भिवंडी के कामतघाटर क्षेत्र में अथर्व एंटरप्राइजेज नामक श्रमिकों द्वारा छोटे पैमाने पर उद्योग शुरू किया गया। इस जगह की मिट्टी के उपर लाल, पीले, हरे, गुलाबी, नीले, सुनहरे और चांदी के रंगों से चित्रित किया गया है। यह दर्पण के साथ सजाए गए है और पुरी तरह से बेहद खूबसूरत बनाया हुआ है। इस साल इस्तेमाल किए जाने वाले ऑइल पैंट से बने दिए की मांग भी अधिक है।
यदि कड़ी मेहनत और जिद्द हो तो मनुष्य जीवन में किसी भी संकट का सामना करने में सफल होता हैं। फिर चाहे कितनी ही कठिनाइयों का और मुसीबतों का सामना करना पड़े। अपने मकसद में कामयाबी हासिल कर ही लेता है। इस बात को कल्पना ने, अपनी कला और मेहनत से साबित करके दिखाया है।