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अपनी जाति के आरोपी का डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने लिया पक्ष, बनाया एसओ को निशाना?

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keshav mauraya

प्रदेश के जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति जब जातियता को बढ़ावा देने के लिये अपने पद का दुरूपयोग करने लगे तो सोचने के लिये विवश होना पड़ता है कि आखिर देश का संविधान और कानून ऐसे लोगों के द्वारा रौंदा जा रहा है जो कानून और संविधान की रक्षा के लिये शपथ लेकर पदभार ग्रहण करते हैं। ऐसा ही किया है उत्तरप्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने जिनके हस्तक्षेप से बिना सच की जांच पड़ताल किये एक एसओ को निलंबित करने के लिये भदोही पुलिस अधीक्षक पर दबाव डाला और पुलिस अधीक्षक ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुये एसओ को तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया।

गौरतलब हो कि विगत 18 अगस्त को सुल्तानपुर जिला खालिसपुर डेंगूर निवासी जितेन्द्र त्रिपाठी ने उंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी कि उसकी पुत्री  सीतामढ़ी दर्शन करने आयी थी। जब वह वहिदा बाजार पहुंची थी तो जनपद जौनपुर के सरपतहां थानान्तर्गत असईका पट्टी नौरंग गांव निवासी बरखू मौर्या का पुत्र भोलानाथ मौर्या उसकी पुत्री का अपहरण करके ले गया। इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुये उंज एसओ राजेश पाण्डेय छानबीन शुरू कर दी। छानबीन के दौरान पता चला चला कि लड़की को अपहरण करने में आरोपी की मां नवरंगी देवी और उसकी भाभी नौरंग देवी का भी हाथ है। लिहाजा एसओ ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद भी जब दोनों ने आरोपी का पता नहीं बताया तो उन्हें जेल भेज दिया, क्योंकि लड़की के पिता ने उन दोनों को भी आरोपी बनाया था।

इस घटना के बाद जिले के कुछ नेता इसे जाति का मुद्दा बना लिये और अपनी बात किसी तरह डिप्अी सीएम तक पहुंचा दी। होना तो यह चाहिये था कि प्रदेश के एक जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति के लिये जाति व धर्म से परे रहकर कानून के दायरे में काम करना चाहिये था किन्तु ऐसा नहीं हुआ, बल्कि भदोही के पुलिस अधीक्षक पर दबाव डालकर कार्रवाई करने को कहा गया। लिहाजा पुलिस अधीक्षक राजेश एस ने त्वरित कार्रवाई करते हुये एसओ को निलंबित कर दिया।

सोचने वाली बात है कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों का निर्देश है कि बिना किसी जांच कि किसी अधिकारी को निलंबित न किया जाये लेकिन पुलिस अधीक्षक भदोही ने न्यायालय के निर्देर्शों का पालन न करते हुये बिना किसी जांच पड़ताल के एसओ को दबाव में आकर निलंबित कर दिया जिससे पुलिस विभाग की किरकिरी हो रही है।

भदोही किसी और मामले में डिप्टी सीएम ने क्यों नहीं किया हस्तक्षेप

यदि यह मान भी लिया जाये कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने के लिये डिप्टी सीएम प्रतिबद्ध हैं और छोटे से छोटे मामले पर भी निगाह रखते हैं तो और भी सवाल खड़े हो जाते हैंं। भदोही जिले में पिछले दिनों में देखे तो कई ऐसी घटनायें घटित हुई हैं जिसपर से अभी तक पर्दा नहीं उठ पाया है। कई घटनायें चर्चित भी हुई लेकिन उसपर कभी डिप्टी सीएम ने हस्तक्षेप नहीं किया। चाहे वह गोपीगंज के हवालात में हुई रामजी मिश्रा की मौत का मामला रहा हो। या फिर भूख से मौत को गले लगाने वाले विद्यासागर दीक्षित का। या फिर सरेआम गाय काटकर दंगा भड़काने की कोशिस की गयी हो। यहीं नहीं पिछले कुछ महीनों में निगाह डाले तो भदोही से कई लड़कियों को भगाने की वारदात भी सामने आयी है। लाखों की लूट के मामले का भी खुलाशा अभी तक नहीं हो पाया है। किन्तु किसी भी मामले में पुलिस की निष्क्रियता को लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कभी हस्तक्षेप नहीं किया। जिससे लोगों के बीच स्वत: ही चर्चा शुरू हो गयी गयी है कि डिप्टी सीएम ने एक ब्राह्मण लड़की को भगाने के आरोपी को बचाने के लिये एक एसओ का सिर्फ इसलिये निलंबित करा दिया क्योंकि वह अपने काम को ईमानदारी से कर रहा था। आरोप लागाया जा रहा है कि एसओ राजेश पाण्डेय लड़की के रिश्तेदार हैं जो बिल्कुल निराधार है। सिर्फ अपनी जाति की नाक को बचाने के लिये डिप्टी सीएम का यह कारनामा सरकार की स्वच्छ छवि को सिर्फ दागदार कर रहा है।

आखिर एसपी ने क्यों नहीं करायी जांच

सूत्रों की माने तो इस मामले में आरोपी लड़का अपनी मां और भाभी से बराबर संपर्क में था। वह मोबाइल पर हमेशा दोनों से बात कर रहा था। लड़की के पिता ने भी दोनों का नाम तहरीर में दिया था। यह एक संगीन मामला था इसलिये दोनों को गिरफ्तार करके एसओ राजेश पाण्डेय ने जेल भेज दिया। यदि एसओ की यह गलती थी तो एसपी को चाहिये था कि आरोपियों की काल डिटेल निकाल कर पहले जांच की जाती इसके बाद यदि एसओ दोषी पाये जाते तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती। किन्तु ऐसा नहीं हुआ जिससे साबित होता है कि बिना किसी जांच पड़ताल के राजनीतिक दबाव में आकर ही एसपी द्वारा इस कदम को उठाया गया है।
यदि इसी तरह राजनीतिक दबाव में पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करके उनके मनोबल को तोड़ा जाता रहेगा तो किसी भी आरोपी या अपराधी पर कार्रवाई करने से पहले पुलिस सौ बार सोचेगी फिर लोगों को न्याय कैसे मिलेगा।

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