मोदी सरकार के तरफ से पिछले चुनाव में सबका साथ सबका विकास का नारा इतना कामयाब हुआ कि इस बार भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। लेकिन इस बार भाजपा ने अपने नारा में थोडा सा सुधार करते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ कर दिया। जिसमें वे सभी लोग आ गये जो अभी तक कही न कही मोदी सरकार पर विश्वास नही रखते। हालांकि पिछले कार्यकाल में उन लोगों के साथ कही विश्वासघात नही हुआ लेकिन फिर भी इस बार अपने नारे में ‘सबका विश्वास’ जोडने से लोगों का सरकार के प्रति नजरिया और सकारात्मक होगा।
वैसे भाजपा की प्रचण्ड जीत विरोधियों को गले नही उतर रही वगा और आज भी कुछ तथाकथित नेता है जो फालतू बयानबाजी करके माहौल खराब करना चाहते है। वैसे इस जीत के पीछे कही कही विरोधियों की फालतू बयानबाजी, आरोप भी प्रमुख कारण है। जिससे जनता ने विरोधियों के मंशुबो को पहचान कर उन पर पानी फेरते हुए फिर से पुरे देश ने मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में सहयोग दिया। इस चुनाव में भाजपा का राष्ट्रवाद से भरा कार्य खासकर एयर स्ट्राइक लोगों को काफी पसंद आया। जिसमें पाकिस्तान को कडा जबाब मिला। मसूद अजहर को अन्तराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराना। तथा 27 मार्च को एक ऐसी घटना हुई जिससे भारत की स्थिति अन्तरिक्ष में भी मजबूत हुई। इन सभी घटनाओं को देखने के बाद जनता का मन भाजपा के पक्ष में बना और प्रचंड जीत के साथ नरेन्द्र मोदी फिर भारत के प्रधानमंत्री बने।
यदि भाजपा की जीत की बात की जाए तो 1980 से लेकर अब तक का भाजपा का प्रदर्शन सबसे सर्वोच्च है। यदि देखा जाए तो भाजपा को 1989 से 1998 तक तक हर चुनाव में सीट बढते क्रम में मिल रही थी लेकिन अकेले सरकार बनाना संभव नही था। इस चुनाव में जहां भाजपा ने पश्चिम बंगाल, ओडिसा, कर्नाटक, लेलंगाना, असम और त्रिपुरा में जनाधार बढाने में कामयाबी हासिल की वही देश की सबसे बडी पार्टी कांग्रेस ने लगभग डेढ दर्जन राज्यों में खाते न खोल सकी। और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के नौ पूर्व मुख्यमंत्री भी हार गये। परिवारवाद का जलवा बनाये रखने वाली सपा की डिम्पल यादव, धर्मेन्द्र यादव और अक्षय यादव भी हार गये। देश ने जाति व धर्म की राजनीति करने वालों को नकार कर पूरे देश में राष्ट्रवाद को प्राथमिकता देकर एनडीए को पुन: देश की बागडोर सौपी।
कांग्रेस के लिए इससे दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि पक्ष की बात छोडिये विपक्ष में बैठने की भी काबिलियत नही है। देश मे 1980 के बाद पहली बार किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत की सीट मिली। भाजपा ने दिल्ली, राजस्थान और गुजरात की सभी सीटों पर दुबारा जीत दर्ज की जबकि हिमाचल प्रदेश, चंढीगढ, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हरियाणा, दमन दीव और अंडमान निकोबार में पहली बार पूरी की पूरी सीट जीती। भाजपा की इस जीत ने विरोधी दलों के जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टिकरण की राजनीति को ध्वस्त करके विकासवाद और राष्ट्रवाद के रास्ते को प्रशस्त किया है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और कर्नाटक की भी जीत क्लीन स्वीप से कम नही है। देश के मतदाताओं ने 50% से अधिक मत भाजपा व सहयोगियों को देकर यह साबित कर दिया कि अब देश में विकासवाद के आगे जातिवाद की राजनीति नही चलने वाली है।
भाजपा की जीत के पीछे कल्याणकारी योजनाएं भी काफी मददगार साबित हुई हैं। उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, किसान सम्मान योजना, आवास, शौचालय, सौभाग्य योजना और आयुष्मान योजना ने मोदी की जीत में सहयोगी रही। लेकिन भाजपा को देश की विभिन्न चुनौतियों से लडने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे। सभी समीकरण ध्वस्त करने के बाद भाजपा देश में फिर वापसी कर ली है। लेकिन सभी वर्ग को साथ मे लेकर चलना और उनमें सरकार या भाजपा के प्रति सकारात्मक भाव पैदा करना, आतंकवाद पर हमेशा ही कडा रूख बनाये रखना, देश की समस्याओं के निवारण के लिए सही व उचित योजनाओं के माध्यम से समाधान करना, देश की अर्थ व्यवस्था को और मजबूत बनाना तथा देश की बेरोजगारी की दशा में सुधार करना प्रमुख है।
क्योकि भाजपा के विरोधियों को यह जीत रास नही आ रही है जिसके कारण सभी विरोधी कही न कही सरकार को बैकफुट पर लाने के लिए किसी भी तरह से प्रयास करेंगें। कभी भगवा आतंकवाद तो कभी उग्र हिन्दुत्व का नाम लेकर सरकार को घेरने तथा माहौल बिगाडने के लिए तैयार रहेंगे। कभी कभी विरोधी राममंदिर, 35ए, विशेष राज्य, धार्मिक बहस और सरकार की संस्थाओं पर अंगूली उठाकर घेरने की कोशिश जरूर करेंगे। जबकि बिरोधियों को मानना चाहिए कि देश ही नही अपितु बिदेश की मीडिया और नेताओं ने मोदी के कार्यों की सराहना की लेकिन भारत में विरोधियो को यह जीत रास नही आ रही है। हालांकि भारत की एकता अखण्डता व भाईचारा के साथ साथ विकास की गति को आगे बनायें रखना ही वर्तमान सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है। भारत के लोग अब जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर ठगे नही जायेंगे। केवल विकासवाद ही होगा भारत के लोगों का मूल मंत्र।