भदोही। जिले के नदियों, तालाबों, नहर में प्रशासन भले ही ढाई महिने तक मछलियों को मारने पर रोक लगाने की बात की है। लेकिन विभागीय लापरवाही व मिली भगत से खुलेआम लोग मछलियों को मार रहे है और बेच भी रहे है। शासन व प्रशासन की बातें केवल हवा ही साबित हो रही है। यदि विभाग के लोग अपनी जिम्मेदारी को केवल कागजी खानापुर्ति तक ही रखना चाहते है तो शासन की मंशा के अनुरूप जमीन पर काम होना असंभव है। पर्यावरण के संरक्षण और मछलियों के प्रजनन व संवर्धन को ध्यान में रखकर ढाई माह तक शासन ने मछलियों को मारने पर रोक लगाई है। लेकिन लोग बेखौफ नदियों में नहरों में मछलियां मारते दिख रहे है।
मालूम हो कि मछलियों के प्रजनन और संरक्षण को ध्यान में रखकर शासन व जिला प्रशासन ने फीजरीश एक्ट 1948 के अन्तर्गत मछली मारने, बेचने व पकडने पर 15 जुलाई से 30 सितम्बर तक रोक लगा दी है। क्योकि 15 जुलाई से 30 सितम्बर तक मछलियों का प्रजनन का समय होता है। इसलिए इस अवधि में मछलियों का संरक्षण जरूरी है। इस दौरान नदियों, झीलो, नालों, नहरों व तालाबों में मछली मारना, पकडना, मछली बेचना व खरीदना प्रतिबन्धित होता है।
इस दौरान जो भी मछली को पकडते, बेचते या खरीदते पाया जाता है उसके खिलाफ कोड आफ क्रिमिनल प्रोसिजर 1998 के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जाती है। लेकिन भदोही जिले में लोग मछली तो मार रहे है लेकिन सम्बन्धित विभाग के हिसाब से नियम के हिसाब से काम हो रहा है।