देश की राजनीतिक को शुद्ध करने में युवाओं की अहम जिम्मेदारी
भले ही हमारे देश को अंग्रेजों की हुकुमत से आजाद हुए 75 वर्ष से अधिक हो गया है लेकिन आज की देश की राजनीतिक स्थिति और नेताओं की सोच व गंदी मानसिकता देखकर लगता है कि सात दशक बाद भी लोगों के मन से गुलामी और छोटी सोच नही गई है जो कही न कही देश को कमजोर करने में ही सहायक साबित हो रही है और यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो आगे और भी भयानक माहौल देखने को मिलेगा। इसके लिए नेताओं के साथ साथ आम नागरिक की भी जिम्मेदारी है।
जिस देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए हजारों लाखों लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दी और देश की आजादी को ही अपने जीवन का परम लक्ष्य समझा। लेकिन आज लोग देश हित को पीछे रखकर अपने ही हित को सर्वोपरि रखने में पीछे नही है। बस केवल एक उद्देश्य है कि किस तरह अपना उल्लू सीधा हो। यह स्वार्थपरता देश के लिए कही न कही बहुत भारी पड रहा है। और इसी स्वार्थपरता का लालच देकर देश के नेता जनता को गुमराह करके चुनाव जीतते है। देखा जा सकता है कि सभी दलों के नेता चुनाव में जो घोषणापत्र जारी करते है या जनता को संबोधित करते है उसमें केवल जनता के व्यक्तिगत लाभ का ही लुभावना देते है न कि प्रदेश या देश के लिए कोई खास वादा करते है।
आज जिस तरह देश में नेता जाति, धर्म, सम्प्रदाय समेत विभिन्न वादों को लेकर जनता को लालच देकर अपना वोट सिद्ध करने में जुटे रहते है और खुले मंच से जाति और धर्म की राजनीति करते है। अब तो यह भी देखने को मिलता है कि नेताओं को टिकट का बंटवारा भी जाति और धर्म के समीकरण के हिसाब से दिया जाता है। जो कही न कही समाज और देश के लिए काफी जहरीला है। क्योकि जब धर्म और जाति के नाम पर राजनीतिक बीजारोपण हुआ है तो इसका असर जमीनी स्तर पर भी दिखता है। और अक्सर जाति व धर्म को लेकर विवाद भी होता है और इससे चुनाव में काफी उठापटक भी देखने को मिलता है। लेकिन नेताओं को क्या पड़ी है। जनता को आपस में राजनीतिक मतभेद में गुमराह करके कुर्सी तक पहुंचने का सरल रास्ता निकाल ही लेते है।
देश में चुनाव का मुख्य उद्देश्य यह था कि जनता द्वारा जनता के बीच के ही प्रतिनिधि चुनकर सदनों में जाये और देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान करें। लेकिन आज देश के विकास से ज्यादा जरूरी खुद का विकास हो गया है। जिसके लिए पूरे देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। हालांकि कुछ नेता भले ही देश की छवि को बेहतर बनाने में जुटे है लेकिन अधिकतर नेता केवल लूटने के लिए ही नेतागिरी करते है। जिसकी वजह से देश की हालत लगातार चिंता जनक होती जा रही है। आज जिस तरह विभिन्न राजनीतिक दल गुंडा, बदमाश, बाहुबलियों, पूंजीपतियो, हत्यारों, बलात्कारियों और गलत कार्य करने वालों को नेता बना रहे है वह बेशक यह सिद्ध करता है कि वे देश व प्रदेश के लिए नही बल्कि खुद के विकास के लिए राजनीतिक ‘धंधा’ अपनाये है। जो राजनीतिक दलों और उनके आकाओं के लिए हीरे का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो रही है। जो देश के पवित्र राजनीतिक स्वरूप को गंदा करने पर तुले है।
चुनावों के समय तो यहां तक चर्चा रहती है कि जो नेता जितना अधिक पैसा राजनीतिक दल के आका को देगा उसका टिकट मिलना उतना ही पक्का समझ में आता है। हालांकि यह फार्मूला सभी राजनीतिक दलों में शायद अभी नही है लेकिन बहुत में तो यह सुनने को मिलता है। अब यहां सवाल उठता है कि जो नेता दस करोड़ देकर केवल चुनाव लड़ने के टिकट पायेगा वह जीतने के बाद क्षेत्र की जनता का क्या विकास करेगा? लेकिन जनता भी है जो देशहित की बात को नजरअंदाज करके जाति और धर्म तथा छोटे लालच पर फिदा होकर गलत लोगों को अपना नेता बनाकर देश के बडी पंचायतों में भेजती है। जहां से गलत नेता केवल गलत कार्यों को प्रोत्साहित करते है और उसका समर्थन करते है। और गलत नेता यदि एक बार किसी भी तरह सत्ता का सुख पा लिये तो वे हर बार किसी भी तरह सत्ता के सुख के लिए सब कुछ करने को तैयार रहते है।
आज जिस तरह दलबदलु नेताओं को देखा जा सकता है जिनकी कोई विचारधारा नही है। उनकी विचारधारा केवल देश को लूटना मात्र है। सत्ता पाने के लिए वे आज इस दल के समर्थक है तो कल उस दल के समर्थक हो जाते है। ऐसे सत्ता के लालची नेताओं को तो समाज से दुत्कार देना चाहिए। हालांकि जनता भी ऐसे दलबदलुओं को मौका देती है। जिससे देश की राजनीति और भी गंदी हो रही है। देश के गुलामी के समय बाहर से आये आक्रमणकारी या शासक देश को लूटते थे तो देश विरोध करता था और देश के लोगो के विरोध के बाद ही देश आजाद हुआ लेकिन आज देश के अंदर ही बैठे कुछ सफेदपोश गद्दारों को देश के लोग ही देश को लूटने का मौका देते है। जो देश के लोगो को जाति, धर्म, सम्प्रदाय समेत विभिन्न वादों में बांटकर अपना काम निकाल लेते है।
देश की जनता को भी ऐसे नेताओं को अपना प्रतिनिधि चुनना चाहिए जो देशहित और राष्ट्रहित में कार्य करें। तथा जिन नेताओं की छवि एक स्वच्छ हो उसे ही मौका दें। आजकल गुंडा-बदमाश, बाहुबली, अपराधी, बलात्कारी, हत्यारा को अपना नेता लोग चुन देते है जो केवल देश के लिए किसी खतरे से कम नही है। क्योकि जब अपराधी लोग नेता बनेंगे तो अपराध में वृद्धि होगी जो समाज और देश के लिए घातक है। देश में पढे लिखे लोग भी जाति और धर्म के नाम पर नेताओं द्वारा भ्रमित होकर वोट दे देते है जबकि ऐसा नही करना चाहिए। देश के हर शिक्षित व्यक्ति को वोट देते समय ऐसे नेता का चुनाव करना चाहिए जो देशहित में कार्य करने की मंशा रखता है न कि केवल अपने छोटे स्वार्थ के चक्कर में गलत लोगो का चुनाव करें।
देश के विकास और उत्थान का जिम्मा देश के युवाओं पर ही है इसलिए देश के युवाओं को चुनाव के समय ऐसे लोगो का चुनाव करना चाहिए जिसकी छवि एकदम स्वच्छ हो। जिसका अपराध से कोई लेना देना न हो। यदि युवा इन सब चीजों को ध्यान में रखकर मतदान करेगा तो उसके घर के लोग भी अच्छे नेता का चुनाव करेंगे। क्योकि देश का युवा यदि कुछ नेताओं या राजनीतिक दलों के बहकावे में आकर राष्ट्रहित को पीछे छोड़कर अपने स्वार्थ को आगे रखकर मतदान करता है तो बेशक उसकी शिक्षा बेकार है। देश की गंदी हो रही राजनीति को युवा ही स्वच्छ करने में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है। इसलिए भारत की राजनीति में गंदे और गलत लोगों का कब्जा न हो इसके लिए हम सभी को अपने स्तर से जाति और धर्म की छोटी विचारधारा से ऊपर उठकर राष्ट्रहित की भावना को सर्वोपरि रखकर आगामी चुनावों में मतदान करना है। और भारत को एक सशक्त और मजबूत राष्ट्र बनाना है।