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भक्ति में है भगवान–हृदया दास महाराज

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हमार पूर्वांचल
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डीघ विकाश खंड के सागर रायपुर में चल रहे संगीतमयी श्रीमद भागवत कथा छठे दिन महाराज श्री श्री 108 श्री स्वामी श्री हृदया दास जी महराज ने कहा भक्ति में है भगवान। भागवत कथा पंडाल में मात्र पहुचने से ही भगवान की प्राप्ति हो जाती है। कहा कि जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प दृढ़ एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारासलीला, श्री उद्धव चरित्र, श्री कृष्ण मथुरा गमन और श्री रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंगों पर विस्तृत विवरण दिया।

श्री रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुक्मिणी के भाई रुक्मि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित किया था, लेकिन रुक्मिणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी। उन्होंने कहा कि शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्यमार्गी इसलिए मै असत्य को नहीं सत्य को अपनाऊंगी। अत: भगवान श्री द्वारकाधीश जी ने रुक्मिणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पत्नी के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया। रुक्मिणी विवाह प्रसंग पर आगे कथा वाचक ने कहा कि इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। इस पावन प्रसंग के दौरान दान की विशेष महिमा है। कथा 25 सितम्बर से प्रारम्भ है । इस मौके पर प्रमुख यजमान अनील शुक्ला, सुनील कुमार शुक्ला, सुनील तिवारी, रूची शुक्ला, सहयोगी महेन्द्र शुक्ला समेत भारी संख्या में श्रद्धालु रहे।

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