राजनीति देश और समाज का विकास करने के लिये होती है, लेकिन राजनीति जब निजी स्वार्थ के लिये गंदी हो जाय तो वह देश ओर समाज के लिये खतरा बन जाती है। वोट की राजनीति के चलते भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में हमेशा अशान्ति का माहौल बना हुआ है। हिंसा से लोग त्रस्त हैं। किन्तु भदोही में राजनीति करने वाले कुछ लोग पूर्वोत्तर में हो रही हिंसक वारदातों से सबक न लेकर अपने ही आस्तीन में सांप पालने में लगे हैं। यदि प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाला दिन भदोही के लिये खतरनाक हो सकता है और इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ेगा जो हमेशा शान्ति से रहते आये हैं।
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बता दें कि काशी—प्रयागराज के मध्य बसा भदोही जिला खूबसूरत कालीनों के लिये ही नहीं वरन् गंगा जमुनी तहजीब के लिये भी जाना जाता है। कालीन के ताने बाने की तरह एक दूसरे से जुड़े लोग हमेशा मिल जुल कर रहते आये हैं। किन्तु पिछले कुछ वर्षों से भदोही में अपराधिक वारदातों में इजाफा हुआ है। कई ऐसे मामले हुये हैं जिनका खुलाशा करने में पुलिस नाकाम रही है। अपने खूबसूरत कालीनों से विदेशों में पहचान बनाने वाली भदोही पिछले कुछ वर्षों से विवादित होती जा रही है। इसका मुख्य कारण जिले की गंवई राजनीति है जो वोट के लिये अपने आस्तीन में सांप पालने लगी है।
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गौरतलब हो कि कालीन निर्माण में मजदूरों और बुनकरों की हमेशा जरूरत बनी रहती है। अन्य प्रान्तों सहित पश्चिम बंगाल से भारी संख्या में मजदूर यहां पर काम करते हैं। पश्चिम बंगाल से आने वाले मजदूरों का पता नहीं चल पाता कि वे वास्तव में पश्चिम बंगाल के हैं या फिर बंग्लादेशी घुसपैठियें हैं जो यहां पर आकर बस गये हैं।
यदि पिछले 30 वर्षों का आंकड़ा देखा जाय तो भदोही की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। जिले के हर नगरों व छोटी बाजारों के आसपास कई नई बस्तियां बस गयी हैं। इन बस्तियों में बड़ी संख्या में बंग्लादेशी होने की बात उठती रहती है। चंद महीने पहले सावन माह में मोढ़ क्षेत्र के सियरहां गांव में ब्राह्मण बस्ती के पास गर्भिणी गाय काट दिये जाने के बाद यदि लोगों ने सूझबूझ से काम नहीं लिया होता तो मामला बड़ा हो सकता था। इसका आरोप बगल में स्थित नई बस्ती पर ग्रामीण लगा रहे थे, जिसमें कथित बंग्लादेशियों के रहने की बात उठती रहती है। जिले में जितनी भी इस तरह की बस्तियां बसी हैं। उनके आसपास हो रहे अपराधों से लोग त्रस्त हैं।
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देखा जाय तो कभी कालीन उद्योग में मजदूरी करने आये लोग यहीं पर बस गये। गांव में अपना वोट बढ़ाने के लिये कुछ स्वार्थी ग्राम प्रधानों ने उन्हें बसने के लिये जमीन ही उपलब्ध नहीं करायी बल्कि उनका राशन कार्ड व मतदाता पहचान पत्र भी बनवा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि जो कभी मजदूरी करने आये थे। वे यहां के स्थायी निवासी बन गये।
कालीन उद्योग में काम करने के लिये भारी संख्या में मजदूर यहां आते रहते हैं, लेकिन प्रशासन के पास कालीन उद्योग से जुड़े किसी भी व्यवसायी के यहां काम करने वालों का सही आंकड़ा प्रशासन के पास मौजूद नहीं है। चौरी में हुआ विस्फोट काण्ड भले ही प्रशासन पटाखा विस्फोट घोषित करके पर्दे डाल रहा हो किन्तु एक सामान्य सा व्यक्ति भी यह समझ सकता है कि पटाखे से इतनी बड़ी तबाही होना मुश्किल है। इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक का आना यह साबित करता है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन और जिले का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल हो रहा है।
लोगों का कहना है कि भदोही में हजारों की संख्या में बंग्लादेशियों घुसपैठिये शरण लिये हैं। उन्हें बसाने में गंदी राजनीति का बहुत बड़ा योगदान भी रहा है। लोगों का कहना है कि प्रशासन अब भी चेत जाये और 30 वर्ष के अंदर बसी बस्तियों की जांच करके घुसपैठियों का मतदाता पत्र और राशन कार्ड निरस्त करके कार्रवाई करे। अन्यथा भविष्य में खूबसूरत कालीन नगरी की फिजां विस्फोटक हो सकती है।
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