भदोही। शासन बच्चों के शिक्षा को लेकर इतना संवेदनशील है कि हर गांवों में स्कूलों के अलावा आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थापना की है। जिससे छोटे बच्चों को भी शिक्षा के प्रति लगाव हो। इसके लिए बच्चों की देखभाल के लिए आंगनवाडी केन्द्रों पर मुख्य सेविका व सहायिका की तैनाती की गई है। लेकिन शासन की मंशा को प्रशासन के लोग अमली जामा पहनाने में या तो नाकाम हो रहे है या जानबूझ कर लापरवाही कर रहे है।
एक ऐसा ही मामला भदोही जिले के डीघ ब्लाक के अन्तर्गत चेरापुर-बिरनई आंगनवाड़ी केन्द्र प्रथम में देखने को मिला जहां कुल 28 बच्चे नामांकित है और मात्र चार बच्चे ही शनिवार को आये। जब इसके बारे में केन्द्र पर तैनात महिला से पूछा गया तो उनका जबाब सुनकर बडा ही अजीब लगा। महिला कर्मी ने बताया कि इस केन्द्र पर न तो शौचालय है, न पेयजल की सुविधा है, न रंगाई पोताई की गई है, खिडकी में गेट नही है और यहां फर्श भी टूटा है। इन सबके अलावा बच्चों के न आने का प्रमुख कारण यह है कि यहां आये दिन बिच्छू, विषखोपडा जैसे विषैले जन्तु निकलते है जिससे बच्चे डर कर केन्द्र पर नही आना चाहते। कहा कि इसकी शिकायत विभाग को की है लेकिन विभाग के तरफ से अभी तक कोई कार्यवाही न हुई।
वही जब डीघ के बाल विकास परियोजना अधिकारी से बात की गई तो उन्होने बताया कि चेरापुर केन्द्र की सूचना और जानकारी विभाग को दे दी गई है। जल्द ही केन्द्र की समस्या का निस्तारण हो जायेगा। विषखोपडा वाले प्रश्न के जबाब में कहा कि बारिश का मौसम है, विषैले जन्तु तो निकलते है। आस-पास साफ-सफाई और सावधानी से रहने की जरूरत है।
अब यहां सवाल उठता है कि इस केन्द्र पर 20% भी बच्चे नही आ रहे है। जबकि विभाग के लोग शासन को शत प्रतिशत का आंकडा भेजकर खानापुर्ति करते है। शासन के मंशा के अनुरूप काम न करने वालों पर आखिर क्यों मेहरबान रहते है बडे अधिकारी? आखिर इस तरह की समस्या का निवारण कैसे हो सकता है? वैसे चेरापुर तो एक बानगी मात्र है जिले के न जाने कितने आंगनवाड़ी केन्द्र ऐसे ही होंगे।