मिट्टी के दीपक जलाकर कुम्हारों के घर में लायें खुशियां: मुनेश्वर गुप्ता
भदोही। दीपावली… यानी दीपों का पर्व। बगैर दीप के इस पर्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पहले था भी ऐसा ही। हर घर में दीये जलते थे। किसी के यहां पांच सौ, तो किसी के यहां हजार। इसका सामाजिक, आर्थिक फायदा तो था ही, दीये बनाने वाले कुम्हार समाज भी खुश रहता था। लेकिन, यह परंपरा धीरे-धीरे औपचारिकता के दायरे में सिमटती जा रही है। वजह है चाइनीज लाइट। चाइनीज लाइट ने दीये की अस्मिता को खतरे में डाल दिया है। बावजूद इसके चाइनीज लाइट अपनी जगह है और मिट्टी के दीये अपनी जगह। जिला पंचायत सदस्य मुनेश्वर गुप्ता ने आह्वान किया कि आइए इस दिवाली मिट्टी के दीये जलाएं। भारतीय संस्कृति को मजबूत बनाएं। दीये जलाने से कुम्हारों के घर भी दिवाली मनेगी। दीप जलेंगे और उनके घर भी खुशहाली आएगी। हमारी आंख भी सुरक्षित रहेंगे।
श्री गुप्ता ने कहा कि सदियों से परम्परागत दिये का उपयोग होता रहा है, जिससे कुम्हारों को रोजगार मिलने के साथ ही पर्यावरण भी शुद्ध रहता है, किन्तु चायनीज बनावटी दीपक के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। साथ ही कुम्हारों का परम्परागत रोजगार भी छिन रहा है। कहा कि दीये के साथ पूजा के लिए मिट्टी के कलश का प्रयोग करना चाहिये। कालीन नगरी भदोही को इकाे फ्रेंडली रोशनी की जगमगाहट में दमकाने के लिए मिट्टी के दीए का प्रयोग करना होगा। कुदरत की सौगात माटी को दीपक की शक्ल में ढालकर इस बार दीपोत्सव की लौ इसी में चमकाने का विनम्र आग्रह श्री गुप्ता ने किया है।
बताया कि चाइनीज एलईडी लाइट से अल्ट्रा वायलेट रेज निकलता है। यह आंखों को नुकसान पहुंचाता है। चिकित्सक भी बोलते हैं कि एलईडी से रेटिना को नुकसान होता है। इसलिए अब यू-वी (अल्ट्रा वायलेट) प्रोटेक्टेड ग्लास बनती है। उन्होंने कहा कि चाइनीज लेड लाइट से आंखों में जलन हो सकती है। ज्यादा देर तक उस लाइट में रहने से सिरदर्द की शिकायत आम है। लोगों को चाइनीज लाइट से परहेज करना चाहिए।