प्रधान समेत संबधित अधिकारियों से दुरुपयोग किए गये धनराशि की रिकवरी का दिया आदेश
जांच में दो लाख 12 हजार 864 रुपए गबन करने का मामला हुआ उजागर
जौनपुर। शाहगंज ब्लाक के सन्दहां गांव में प्रधान व सचिव की मिली भगत से विकास कार्य के नाम पर लाखों रुपए गबन करने का मामला सामने आया है। जांच के बाद सरकारी धन के दुरुपयोग करने का दोषी पाये जाने पर जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी ने ग्राम प्रधान को पद से हटा दिया है। और गबन किए गये दो लाख 12 हजार 864 रुपए को प्रधान, सचिव, ग्राम विकास अधिकारी एवं तकनीकी सहायक से रिकवरी हेतु निर्देशित किया गया है। डीएम की इस कार्रवाई से ब्लाक में हड़कम्प मच गया।
शाहगंज ब्लाक के सन्दहां गांव निवासी राजदेव ने गांव के प्राथमिक विद्यालय परिसर में मिट्टी भराई, जूनियर हाई स्कूल की बाउण्ड्रीवाल निर्माण और स्ट्रीट लाइट लगवाने में प्रधान एवं संबंधित अधिकारियों पर सरकारी धन के गबन का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी से शिकायत किया था।
मामले को गम्भीरता से लेते हुए डीएम अरविंद मलप्पा बंगारी ने परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अधिकारी और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिशासी अधिकारी की एक टीम गठित कर इसकी जांच करायी। जांच के बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी। जिसमें भारी मात्रा में सरकारी धन के दुरुपयोग करने का मामला सामने आने पर डीएम ने ग्राम प्रधान और सचिव से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा।
जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जांच आख्या एवं ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा दिए गये स्पष्टीकरण का डीएम ने परीक्षण किया। जिसमें प्राथमिक विद्यालय में मिट्टी भराई कार्य में 87900 रुपए धनराशि का ही व्यय होना पाया गया। इसमें एक लाख 4 हजार 4 सौ रुपए का अंतर मिला। इसमें ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत अधिकारी सियाराम यादव एवं संबंधित तकनीकी सहायक शशिकांत प्रजापति दोषी पाए गये। इसी तरह चौदहवां वित्त की धनराशि से जूनियर हाई स्कूल की बाउण्ड्रीवाल का प्राक्कलन 14 लाख 41 हजार रुपए स्वीकृत है। जिसके सापेक्ष 8 लाख 61 हजार रुपए व्यय किया गया है। सत्यापन के समय मापी के अनुसार मौके पर 7 लाख 38 हजार का कार्य पाया गया। यहां 78 हजार रुपये का अंतर सामने मिला। इसके लिए ग्राम प्रधान एवं ग्राम विकास अधिकारी दुर्गेश तिवारी दोषी पाये गये। वहीं स्ट्रीट लाइट में 30 हजार 464 रुपए का व्यय दिखाया गया है। जबकि जांच अधिकारियों को मौके पर कोई भी स्ट्रीट लाइट लगा हुआ नहीं मिला। जिसके लिए ग्राम प्रधान और सचिव सियाराम यादव को दोषी ठहराया गया है। जांच में यह भी मिला कि ग्राम पंचायत की खुली बैठक नियमानुसार नहीं होती है।
उक्त प्रकरण में निर्णय लेते हुए डीएम ने ग्राम प्रधान कृष्णदेव तिवारी को उनके पद से पृथक करने का आदेश पारित किया है। साथ ही दुरुपयोग की गयी 2 लाख 12 हजार 864 रुपए की कुल धनराशि में से प्रधान कृष्णदेव तिवारी से 89 हजार 32 रुपए, तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी दुर्गेश तिवारी से 39 हजार, सेवानिवृत्त ग्राम पंचायत अधिकारी सियाराम यादव को 50 हजार 32 और तकनीकी सहायक शशिकांत प्रजापति से 34 हजार 8 सौ रुपए वसूली किए जाने का आदेश दिया है। उन्होंने उक्त वसूली की धनराशि ग्राम निधि के संबंधित खाते में जमाकर उसकी रसीद एक महीने में प्रस्तुत करने को कहा है। निर्धारित समय में धनराशि जमा न करने पर ग्राम प्रधान से भू राजस्व की भांति वसूली होगी। और संबंधित अधिकारियों के वेतन से वसूली होगी।