भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ मंत्र को जमीन पर उतारने के लिए सभी वर्गों को साधने की कोशिश जा रही है। देश में 2009 में लोकसभा चुनाव के पहले व चुनाव के दौरान कई नेताओं व संगठनों ने मोदी को मुस्लिमों के ‘खिलाफ’ होने की हवा दी लेकिन चुनाव के बाद मोदी की सरकार बनी और पूरे कार्यकाल में ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र पर देश के सभी जाति व वर्ग के लोगों को सरकार की योजनाओं को पहुंचाया गया। चाहे वह हिन्दू हो या मुस्लिम, ब्राह्मण हो या दलित। लेकिन फिर भी पुरे पांच साल मोदी विरोधी लोग मुस्लिमों को बरगलाने से बाज नही आए। और तरह-तरह की बातें उडाकर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की। लेकिन सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के आगे विरोधियों की जाति व धर्म की चाल न चल सकी। विकासवाद और राष्ट्रवाद की हवा में 2009 की अपेक्षा 2014 में अधिक सीट मिली। यह बात विरोधियों को पच नही रही है तो उलूल-जुलूल बातें करके निराधार आरोप लगाकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते है। लेकिन अब भारत की जनता जांति धर्म की राजनीति करने वालों के बहकावे में न आकर अपने और देश के विकास की बात को ध्यान में रखकर निर्णय करेगा।
अभी हाल ही में सरकार ने मुस्लिम छात्र- छात्राओं के लिए काफी राहत भरी घोषणा की जिसमें मुस्लिम विद्यार्थियों मुख्य धारा की शिक्षा से जोडा जायेगा। छात्रवृत्ति दी जायेगी। लेकिन कुछ मुस्लिम समाज के ठेकेदारों को सरकार की यह योजना रास नही आ रही है और फालतू बयानबाजी करके लोगों को गुमराह कर रहे है। और बच्चों की शिक्षा की बात को ‘धर्म’ से जोडकर बांटने की राजनीति कर रहे है। कम से कम नेताओं को चाहिए कि देश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें। सरकार की इस योजना का विरोध करने वाले ‘धर्म के ठेकेदार’ यह बतायें कि वे अपने अब तक के कार्यकाल में कितने मुस्लिमों का हित किया है। और जो मुस्लिम विद्वान सरकार की इस योजना का समर्थन कर रहे है क्या वे भी गलत है?
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश में विकास की सेहत को सांप्रदायिकता एवं तुष्टीकरण की बीमारी से मुक्ति दिलाकर सेहतमंद समावेशी सशक्तिकरण का माहौल तैयार किया है। सरकार समावेशी विकास, सर्वस्पर्शी विश्वास के संकल्प से भरपूर है।’ लेकिन कुछ धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करने वालों को यह बात इसीलिए नही पच रही है कि उनको अंदेशा है कि मोदी की योजनाओं से उनके राजनैतिक कैरियर पर ग्रहण लग जायेगा। इसलिए सरकार की कल्याणकारी योजना का विरोध करते है धर्म के ठेकेदार।
देश का ऐसा कौन बाप होगा कि वह सोचे कि उसके बेटे-बेटियां अच्छी शिक्षा न प्राप्त करके केवल परम्परागत शिक्षा प्राप्त करें। सभी मां बाप सोचते है कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें। छात्रवृत्ति पायें, और देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपने को स्थापित कर पायें। लेकिन सरकार की योजना का विरोध करने वाले कुछ मुट्ठी भर लोग समाज को इसीलिए बांटने की कोशिश कर रहे है कि जब सब लोग जागरूक व शिक्षित हो जायेंगे तो इनके उन्मादी व अलगाव की बात कौन सुनेगा? और धीरे-धीरे ऐसे लोगो की दुकान बंद हो जायेगी। सरकार की योजना यदि किसी भी तरह मुस्लिमों के हित के खिलाफ हो तो अल्प संख्यक मंत्रालय में शिकायत कर सकते है। अपना सुझाव दे सकते है।
देश को जाति व धर्म के नाम पर बांटने वाले नेताओं और लोगों को यह ध्यान देना चाहिए कि जितना हो सके देश की एकता, अखण्डता, भाईचारा व सहयोग को बनाएं रखें न कि लोगों को बांटने का प्रयास करें। विरोध करने की भी एक सीमा होती है न कि हर मुद्दों पर विरोध करना अपना अधिकार समझना चाहिए। क्योकि बेवजह का विरोध का परिणाम देश में विभिन्न दलों के नेताओं को खूब देखने को मिला। अत: सभी नेता प्रयास करें कि देशहित में सरकार के तरफ से लिए गये फैसलों का सम्मान व समर्थन करे न कि विरोध। क्योकि देश की जनता अब जागरूक हो गई है और भारत के लोगों में जाति व धर्म की राजनीति करने वाले केवल हार का सामना करेंगे और सत्ता स्वप्न मात्र हो जायेगी। इसीलिए देशहित को सबसे पहले रखें और बाकी चीज बाद में। जब देश रहेगा तब हम सब रहेंगे नही तो छोटी छोटी बातों में उलझकर हम आपस में तरकार करेगे तो अपने साथ साथ देश का भी नुकसान होगा। भारत की एकता अखण्डता को बनायें रखने में हम सब को सहयोग देना जरूरी हैं।