जिन देवताओं की करते हैं सालभर आस्था के साथ पूजा उन्हें ऐसे इधर-उधर विसर्जन ना करें हम देंगे उन प्रतिमाओं को उचित स्थान।
हम करेंगे इनका भूमि विसर्जन-कौशलेन्द्र शास्त्री
जिस प्रकार हम देवी-देवाताओं को अपने यहां आमंत्रित करते हैं, उसी प्रकार विसर्जन के दौरान हम उन्हे सम्मान पूर्वक उन्हे उनके धाम जाने का आग्रह और अगले साल वापस आने के लिए आमंत्रित करते हैं। प्रायः देखा जाता है कि सड़क के किनारे लगे पीपल के पेड़ के नीचे डिवाइडर पर अन्य कई जगहों पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां अपमान पूर्वक पाई जाती हैं जिससे देवताओं के साथ हिंदू धर्म आहत होता है नारायण बाल विद्या मंदिर समिति के अध्यक्ष आचार्य कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने बताया कि जो लोग विसर्जन नहीं कर पा रहे हैं किन्ही कारणों से वो मूर्तियां संस्था के कार्यालय तक पहुचाये या संस्था के हेल्पलाइन नंबर(9455715061) पर कॉल करके बताए संस्था के सदस्य उनके घर से मूर्तियां लाकर उनका भूमि विसर्जन करेंगें जिससे प्रदूषण पर भी रोक लगाया जा सकेगा और देवी-देवताओं को भी सम्मान प्राप्त होगा।
आचार्य जी कहते हैं कि 2013 में लगाई थी रोक प्रदूषण को रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिसंबर 2013 में एक आदेश जारी किया था। इसके तहत मूर्ति निर्माण में प्लास्टर ऑफ पेरिस और केमिकल रंगों के उपयोग पर रोक लगाई थी। इसके साथ ही एनजीटी ने विसर्जन के दौरान भी सावधानी बरतने की हिदायत दी थी, ताकि जल जीवों को किसी तरह का खतरा न हो। इसलिए खतरनाक पीओपी पीओपी में भारी मात्रा में खतरनाक केमिकल्स होते हैं जो जल प्रदूषित कर जलीव जीवो पर तो प्रभाव डालते ही हैं, साथ ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। इसमें लेड, मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक, कोबाल्ट, कॉपर, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, निकल, क्रोमियम समेत दो दर्जन केमिकल पाए जाते हैं। इन सभी केमिकल का लेवल बढने पर अनेक बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही पानी में मिलने के बाद पीओपी और अधिक हार्ड हो जाता है, जो कभी खत्म नहीं होता हमारा और आपका प्रयास पर्यावरण के साथ-साथ आस्था और हिंदू संस्कृति पर अच्छा सहयोग करेंगा