मोदी जी ने कहा है कि 5 अप्रैल को 9 बजकर 9 मिनट के लिए लाइट बंद रखिए। दीपक जलाईए। इसके पीछे क्या लॉजिक है? मुझे नहीं पता। मै सिर्फ इतना जानता हूँ कि इस समय देश की बागडोर मोदी जी के हाथ में है। कोरोना पर कितनी भी हार हो, कितना भी नुकसान हो। जीत हो ! कब हो पता नहीं। लेकिन इस जीत और हार के बीच कुछ लोग अपनो को खो देंगे। कही किसी के घर दीपावली नहीं मनेगी।
अभी तक हम विदेशियो को आधुनिक समझते हैं किन्तु कहा हैं आधुनिकता। विश्व के श्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधाओ से लैस होने के बावजूद अपनो की लाशें गिन रहें हैं। हम कितने आधुनिक हैं यह हम खुद जानते हैं। अभी 3 हजार का आंकड़ा पार हैं। कही इस आंकड़े की संख्या बढ़ती चली गई तो क्या होगा? इस समय हम देश का पीएम तो नहीं बदल सकते। इसलिए जब इतने विरोध के बावजूद वे मेरे 130 करोड़ देशवासियो बोलते हैं। तो मै खुद अपने आपको इसी 130 करोड़ में गिनता हूँ।
मोदी जी ने देश के सोच को दो भागो में बांट दिया है।
1- देशभक्त , 2- देशद्रोही । पहले वाले दूसरे को चमचा और दूसरा पहले को अंधभक्त की संज्ञा देता है । दूसरी लाइन में जाकर देशद्रोही या चमचा का तमगा लेने से अच्छा भक्त ही सही। लेकिन दीप जलाकर यह 9 मिनट खुद के अंदर झांकने की कोशिश करूंगा। एकाग्रचित होकर सोचूँगां कि क्या मै वही रह गया या फिर सचमुच आधुनिक हो गया? हम तो यह सोचकर डरे रहते हैं न कि अगला मेरे बारे में जाने क्या सोच रहा होगा। l कल सब अपने लिए अपने बारे में सोचेंगे। यदि घर कि लाइट जलती रही तो मन में यही खयाल आएंगे। कि अगला क्या सोच रहा होगा? अगला कुछ ना सोचे। इसलिए दीप जलाकर 9 मिनट खुद के अंदर देखूंगा और खुद से सवाल करूंगा कि मै देश के साथ कितना हूँ?
यदि दीपक जलाऊंगा तो उन्हे समर्पित करूंगा जो इस युद्ध में शहीद होने जा रहें हैं, इसमे एक दीपक अपने लिए भी होगा। उनके साथ 5 अप्रैल को ही दीपावली मना ले, जो दीपावली पर नहीं रहेंगे। हर बात में कारण ढूँढने से अच्छा हैं बिना कारण ही कुछ करो, उसका भी अलग आनंद है।