डीएम एसपी से न्याय की गुहार, उपभोक्ता फोरम में जायेगी पीड़िता
भदोही। जमीन बेचकर छह लाखा से अधिक खर्च कर चुकी पति के असफल इलाज से निराश पीड़िता ने संबंधित चिकित्सक के खिलाफ विश्वास के हनन का आरोप लगाते हुये शहर कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराया है। पुलिस ने संबंधित चिकित्सक के खिलाफ धारा 406, 504 व 506 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना जारी कर दिया है।
मामला कोतवाली क्षेत्र के मोढ़ बाजार का है। बताते हैं कि औराई क्षेत्र के ग्राम सहसेपुर गोरी निवासी जनक चौबे पुत्र रामलखन चौबे अपनी पत्नी रेखा चौबे और पांच छोटे बच्चों के साथ मोढ़ बाजार में किराये के घर में बेड सोफा आदि का कारोबार करता था। वर्ष 2020 के अक्टूबर की 26 तारीख को भदोही मीरजापुर रोड बभनौटी में सड़क दुर्घटना के दौरान उसके कूल्हें में चोट आ गयी थी। उपचार के लिये उसे भदोही इंदिरा मिल चौराहा जौनपुर स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पीड़ित की पत्नी रेखा चौबे के अनुसार पहले तो चिकित्सक ने कूल्हें में खिंचाव बताकर इलाज शुरू किया। बात नहीं बनी तो आपरेशन किया। इसके एवज में कुल चार लाख रूपये लिये। बावजूद इसके कुछ राहत नहीं मिली बल्कि दर्द भी बढ़ गया और उसने बैठने में भी मरीज को दिक्कत होने लगी। दिखाने पर चिकित्सक ने बताया कि इनके कूल्हें में जो प्लेट डाली गयी है। वहीं दिक्कत दे रही है। उसे निकालना होगा। प्लेट निकालने के लिये दुबारा आपरेशन हुआ। पीड़िता के अनुसार दुबारा आपरेशन के नाम पर भी चिकित्सक द्वारा करीब दो लाख रूपया लिया गया। इसके बाद भी पीड़ित को राहत नहीं मिली। बल्कि स्थिति बद से बदतर हो गयी। घाव पकने लगा। जिसे सूखने के लिये चिकित्सक द्वारा दवायें जारी रखी गयी। बाद में चिकित्सक रोगी को बीएचयू ले जाने का सुझाव दिया। पीड़िता के अनुसार यह कहने पर कि उसके पास पैसे नहीं है। पहले क्यों नही बताया गया कि यहां इलाज नहीं होगा। अब यह क्यों कहा जा रहा है कि कूल्हा सड़ रहा है। और यदि कूल्हा सड़ भी रहा है तो इसका जिम्मेदार असफल इलाज है।
आरोप है कि उक्त बातें कहने पर पीड़िता के साथ अभद्रता की गयी। उसे तरह तरह की धमकी दी गयी। जिससे निराश वह जिलाधिकारी समेत पुलिस अधीक्षक के शरण में गयी। उनसे न्याय की गुहार लगायी। अधिकारियों के आश्वासन पर ही शहर कोतवाली में संबंधित चिकित्सक के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पीड़िता ने दावा किया कि उसके पति की स्थिति दयनीय है। उसके यहां खाने के लाले पड़े हैं। घर गृहस्थी की सामग्री भी इलाज में बिक गयी। बच्चे भूखे जमीन पर सोने को मजबूर हैंं। किराया न दे पाने की स्थिति मे गृहस्वामी भी घर खाली कराने का दबाव डाल रहा है। पीड़िता के अनुसार घर की सारी जमापूंजी पति के इलाज में लगा दी। ऐसे में उसके सामने पति का इलाज बच्चों की भूख और रहने के लिये घर के रूप में तीन तीन चुनौतियां सामने खड़ी हैं। उसके अनुसार 6 लाख से अधिक पति के इलाज हेतु संबंधित चिकित्सक को दे चुकी है। उसके पास अब कुछ शेष बचा नहीं है। दावा किया कि चिकित्सक ने उसके पति को पूर्ण स्वस्थ कर देने का आश्वासन दिया था। अब उपचार के लिये करीब 8 लाख और खर्च करने की बात कह रहा है। खर्च न करने की स्थिति में बीएचयू अथवा कहीं अन्यंत्र जाने का सुझाव दे रहा है। पीड़िता ने दावा किया कि न्याय के लिये वह मुख्यमंत्री के पास जायेगी और उपभोक्ता फोरम में भी वाद दाखिल करेगी।
जो भी हो किन्तु यह सच है कि पीड़िता पूरी तरह टूट चुकी है। उसके उपर पांच बच्चों की परवरिश और पति के इलाज की चुनौती है। जबकि उसकी सारी जमापूंजी और कारोबार पति के इलाज में समाप्त हो चुका है।
हंस कर टाल गये कोतवाल
पीड़िता रेखा चौबे द्वारा आरोपी चिकित्सक के खिलाफ दर्ज कराये गये मामले के संबंध में जब फोन पर शहर कोतवाल गगनराज सिंह से संपर्क किया गया तो वे पूरे मामले को ही हंसकर टाल
गये। पहले तो कहे कि पूछकर बताता हूं। किन्तु यह बताने पर कि हाथ में एफआईआर की फोटोकापी है जिसमें संबंधित चिकित्सक के खिलाफ 406, 504 व 506 के तहत मामला दर्ज दर्शाया गया है। यह सुनते ही उनकी हंसी तो रूकी किन्तु मामले के संबंध में कुछ बताने के बजाय यही कहते रहे कि जाने दो, आप सब तो सबकुछ समझते हैं। अब कोतवाल के उक्त कथन को पाठक खुद समझें कि कोतवाल ने मामले के संबंध में कोई बात क्यों नहीं की।
अस्पताल प्रबंधन ने आरोप को बताया झूठा
इधर उक्त मामले के संबंध में चर्चा के दौरान अस्पताल प्रबंधन देख रहे प्रबंधक ने आरोप को बेबुनियाद और झूठा बताया। कहा कि मरीज जनक चौबे के इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुईं मरीज के परिजनों से वाजिब इलाज का खर्च लिया गया था। इलाज से संतुष्ट न होने पर मरीज को कहीं अन्यत्र भी ले जाने से मना नहीं किया गया था। दावा किया कि पीड़िता द्वारा 6 लाख देने की बात भी पूरी तरह झूठी है।