Home अवर्गीकृत पता नही विचारों से कब रावण जायेगा-इंदु भोला मिश्रा

पता नही विचारों से कब रावण जायेगा-इंदु भोला मिश्रा

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दो साल कि बच्ची को हाथ में लिये हुये नदीम ,,
फटाक ,फटाक ,फटाक , दोनो गालो पर तमाचा जड़ते हुयें ,
तंग कर दी हैं, कब से रोई जा रही हैं ,, तंग आ गया हूँ ,,
अपने गोद से उठाकर फेकते हुयें नदीम ऐ लो संभालो ,,
मै परेशान हो गया हूँ , ,,
बहुत ही धीमी स्वर में बोलते हुयें ,,
.सरकारी अस्पताल से बाहर निकलते हुये , नूर ,,
ऑखो में ऑसू लिये ,,
बहुत ही धीरे से ,, इस बच्ची ने आप का क्या बिगाड़ा , देखिये , दोनो गाल लाल हो गये ,,
बच्ची हैं जिद तो करेगी ,,,
मासूम हैं कही, हाथ पैर टूट जाता तो ,,,
नदीम ,, चल यहॉ से घर पर बताता हूँ,
नूर ,, ऑखो में ऑसू , जुबॉ खामोश ,, क्या बोले ,,
दस कदम जाने के बाद ,,
डाक्टर, को दिखाना हैं ,,अब दिखा कर चलती हूँ ,,
नदीम आगे बढ़कर, ठीक हैं मैं जा रहा हूँ ,,
अस्पताल के बाहर किसी ने इन दोनो को कुछ नही बोल सकता ,,
क्यूँकि वो और परेशान करता कि ,, तुम्हारे कारण मुझे पब्लिक ने डाटा ,,
उसके जाने के बाद नूर ,,
दो चार , लोगो से अपनी आप बिती बताते हुयें , कि नदीम को लड़का चाहियें ,था ये लड़की कि मेरे अभी से अपमान करता हैं,, पास पड़ोस में मै किसी से कुछ नही कहती कि और परेशान करेगा ,, मै यहा अकेली ही रहती हूँ मेरे साथ आसपास कोई अपना नही हैं ,, नदीम ,,
थोड़ी देर बाद ,,
लोगो के समझाने पर ,,
क्या करू मेरा दिमॉग खसक जाता हैं , ,
नदीम,,, ठीक हैं अब ऐसा नही करूगा ,,
लोगो ने मिलकर समझाया कि , आजकल कानून बहुत ही कड़क हैं ,, ऐसे में पीट देगा पुलिस ,न तो अक्ल ठिकाने पर आ जायेगी ,,
बेटियो के लिये , सरकार सारी सुबिधायें दे रही हैं ,, बेटियों के पैदा होने से लेकर , पढ़ाई का शादी का फिर नफरत क्यू ,,
अगर ऐसा हैं तो ,, सोचना चाहिये न ,, मत पैदा करो बच्चे ,,
इस बार भी यदि लड़की ही हुयी तो क्या करोगें ,
नूर ,,, ऑखो में ऑसू लिये ,, इसारों में ,, जाने दो ,, वरना मुझे परेशान करेगे ,,,
सब लोगो ने मिलकर समझाया,,
नूर ,,, तलाक के लिये डरे हुये हैं ,, इस लिये ज्यादा तर परेशान कर रहें ,, सब लोग देखते ही रह गयें ,, कि कुछ बोलने पर घर जाकर और परेशान करेगा बंदा ,,
कोई कुछ भी नही बोल पाया ,,
न जाने विचार के अहंकारी रावण कब मरेगा ,,,
ऑखो देखी आज कि घटना हैं ,, सर्वोदय हास्पीटल की ,,,
ऐसे बहुत ही लोग हैं ,, आवाजे बहुत ही धीमी हैं ,, जख्म ज्यादा हैं ,, आज भी उस ,,नूर के ऑखो में बस पानी ही था ,, बच्ची के गाल ,लाल थे , पर कोई कुछ नही बोल पाया ।

इंदु मिश्रा
सान्ताक्रूज मुम्बई

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