Home मुंबई डॉ.बाबूलाल सिंह विशेषज्ञ, साहित्यसेवी के साथ हैं जनजन में लोकप्रिय समाजसेवी

डॉ.बाबूलाल सिंह विशेषज्ञ, साहित्यसेवी के साथ हैं जनजन में लोकप्रिय समाजसेवी

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मुंबई
मुलुंड में जनजन में लोकप्रिय
पिछले साल 3 सितंबर को अपना 60वां जन्मदिन मनाने वाले डॉ. बाबूलाल सिंह का जन्म मुंबई के मुलुंड उपनगर में एक महानगर पालिका के अस्पताल में हुआ था। रामकृपाल सिंह और बबनादेवी की छह संतानों में बाबूलाल तीसरी संतान हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा पास के सेवाराम लालवानी रोड के मनपा शाला में हुई। उन्होंने मैट्रिक हिंदी हाईस्कूल घाटकोपर से पास की और जूनियर कॉलेज की शिक्षा माटुंगा के खालसा कॉलेज से ग्रहण किया। वरली के पोद्दार मेडिकल कॉलेज से मेडिकल शिक्षा (बीएएमएस) पूरी की। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें चाचा मुंबई के पहले उत्तर भारतीय महापौर राम चरित्र सिंह के सानिध्य में सामाजिक कार्य करने और राजनीति में सक्रिय होने की प्रेरणा मिली तभी से वह नियमित रूप से मेडिकल कैंप, नेत्र जांच, रक्तदान शिविर आयोजित करते आ रहे हैं। ये तमाम सामाजिक कार्य वह सामाजिक संस्था मुलुंड युवक परिषद और त्रिवेणी युवक संगम के माध्यम से शुरू किये।

1985 में पोद्दार मेडिकल कॉलेज से बीएएमएस पूरा करने के बाद केशवपाड़ा, मुलुंड में ही अपना क्लीनिक खोलकर प्रैक्टिस करने लगे। डॉक्टर साहब ने मित्रों और शुभचिंतकों के साथ मिलकर 1987-88 में महानगरी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड की स्थापना की और संस्था के संस्थापक अध्यक्ष बने। महानगरी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड के माध्यम से मुलुंड में ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करने का मिशन पिछले 33-34 साल से अनवरत जारी है। आज डॉ. बाबूलाल के चेयरमैनशिप में क्रेडिट सोसायटी का केशवपाड़ा में भव्य कार्यालय है और ज़रूरतमंद लोगों की वहीं से सेवा की जा रही है।

डॉ. बाबूलाल की सफलता को देखकर उन्हें महाराष्ट्र कुर्मी (पटेल) क्षत्रिय समाज का 2002 में अध्यक्ष चुना गया। तब से वह लगातार इस संस्था के माध्यम से अपने समाज के लोगों का नेतृत्व करते आ रहे हैं। इसके अलावा वह मुलुंड की कई सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं, मसलन श्री मुलुंड नागरिक सभा, उत्तर भारतीय मित्र मंडल और महानगरी मित्र मंडल जैसी संस्थाओं से सक्रियता से जुड़े हुए हैं। इतना ही नहीं वह उत्तर भारतीय संघ के सक्रिय सदस्यों में हैं।

मूलतः उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर के चुनार तहसील के सोनवर्षा गांव के मूल निवासी डॉ बाबूलाल सिंह राजनीति में अपने चाचा रामचरित्र सिंह के नक्शेक़दम पर चलते हुए कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी का झंडा उठा लिया। उनकी अति सक्रियता का सम्मान करते हुए मुंबई रीजनल कांग्रेस में उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया। पार्टी द्वारा दिए गए दायित्व का निर्वहन वह सफलतापूर्वक कर रहे हैं। मुंबई कांग्रेस के छोटे-बड़े हर कार्यक्रम में उनकी सहभागिता ज़रूर रहती है। वह कांग्रेस के समर्पित सिपाही के रूप में पार्टी को अपनी सेवाए दे रहे हैं।

डॉ. बाबूलाल की सक्रिय सेवाओं का सम्मान करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 1990 में विशेष कार्यकारी दंडाधिकारी (एसईएम) बनाया। बाद में विशेष कार्यकारी दंडाधिकारी पद को विशेष कार्यकारी अधिकारी (एसईओ) में बदलने के बाद उन्हें विशेष कार्यकारी अधिकारी बना दिया गया। तब से आज तक वह इस सम्मानित ज़िम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन करते आ रहे हैं।

डॉ साहब की अति सक्रियता को देखते हुए समय समय पर उन्हें विभिन्न तरह के दायित्न सौंपे जाते रहे हैं। उनकी सक्रियता को देखकर भारत सरकार ने उन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय की सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन कॉउंसिल का सदस्य बनाया। फिल्मों की उनकी गहरी समझ को देखकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन) का सदस्य नियुक्त किया। उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एयरपोर्ट एडवाइजरी बोर्ड और दूर संचार मंत्रालय की एमटीएनएल एडवाइजरी बोर्ड का भी सदस्य बनने का गौरव मिला। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें कंज्यूमर प्रोटेक्शन कॉउंसिल का सदस्य नियुक्त किया।

मुलुंड में कवि सम्मेलन हो या रामलीला महोत्सव, होली का हुड़दंग हो या राम दरबार, भोजपुरी गीत-संगीत संध्य हो या बिरहा मुकाबला, मकर संक्रांति का स्नेह मिलन हो या दूसरा आयोजन, ग़रीब विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक का वितरण कार्यक्रम हो या यूनीफॉर्म वितरण कार्यक्रम, हर जगह डॉ. बाबूलाल सिंह सक्रिय और लोगों की मदद करते नज़र आते हैं।

जब वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल 25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई और इस दौरान जब लोग अपने घरों में कैद हो गए, तब डॉ. बाबूलाल सिंह जान की जोखिम लेकर अपने मुलुंड शहर में बाहर निकले और पूरे लॉकडाउन के दौरान मुंलुंड के लोगों की खोज-खबर लेते रहे। लॉकडाउन के चलते रोजगार खो चुके लोगों को जरूरी खाद्य सामग्री के साथ साथ दवाओं का भी वितरण करते रहे। इसके अलावा किसी को उस दौरान जिस भी तरह की ज़रूरत हुई, उसे वह उपलब्ध करवाते रहे। यह वजह है कि आजकल वह मुलुंड में जन-जन में लोकप्रिय हैं। उन्हें लोक चेतना की ओर से उज्ज्वल भविष्य की ढेर सारी शुभकामनाएं।

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