गुर्दे की पथरी की समस्या आज कल बहुत सारे लोगों में देखने को मिल रही है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में 15 प्रतिशत लोगों को गुर्दे की पत्थरी की समस्या है और जिनमें से लगभग 10 प्रतिशत लोगों में इसका बीमारी का अंत किडनी के खराब होने के साथ होता है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश लोगों को इस समस्या की पूर्ण जानकारी नहीं होती है। इसी कारण वे इसका सही इलाज नहीं करा पाते हैं। यदि उन्हें इसकी संपूर्ण जानकारी होती तो शायद वे भी इस बीमारी से निजात पा सकते।
गुर्दे की पथरी के संबंध में जीवनधारा हॉस्पिटल के निदेशक डॉ.आर.के. पटेल से विस्तृत वार्ता हुई, जिसमें उन्होंने इस रोग के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। डा. पटेल ने बताया कि
गुर्दे की पथरी को नेफ्रोलिथियासिस के नाम से भी जाना जाता है, जो खनिजों और लवणों से बनी होती है और जिसका निर्माण मुख्य रूप से किडनी में होता है। इसके काफी समय तक लाइलाज रहने पर यह मूत्र पथ के उस हिस्से को प्रभावित कर सकती है- जो गुर्दे से मूत्राशय तक आता है।
गुर्दे की पथरी के कितने प्रकार हैं?
डा. पटेल ने बताया कि गुर्दे की पत्थरी मुख्य रूप से 4 प्रकार की होती है, जो निम्नलिखित हैं-
कैल्शियम स्टोन्स – अधिकांश गुर्दे की पथरी कैल्शियम स्टोन ही होती हैं, जो आमतौर पर कैल्शियम ऑक्सालेट के रूप में होती है। ऑक्सालेट एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ है, जो भोजन में पाया जाता है और इसके साथ इसका निर्माण लीवर द्वारा प्रतिदिन किया जाता है। कुछ फलों और सब्जियों इसके साथ में नट्स और चॉकलेट में भी उच्च मात्रा में ऑक्सलेट होता है।
स्त्रावित स्टोन्स– स्त्रावित स्टोन किसी संक्रमण के कारण होते हैं, जो मुख्य रूप से मूत्र पथ में होता है। ये स्टोन जल्दी से बढ़ सकते हैं और काफी बड़े भी हो सकते हैं।
यूरिक एसिड स्टोन्स- यह स्टोन उन लोगों में अधिक होते हैं, जो पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन नहीं करते हैं या फिर जो उच्च प्रोटीन वाला भोजन करते हैं। यूरिक एसिड स्टोन महिला की तुलना उन पुरूषों में अधिक होती है, जिनके मूत्र में एसिड की मात्रा अधिक होती है।
सिस्टिने स्टोन्स– हालांकि, यह किडनी स्टोन का ऐसा प्रकार है, जो काफी कम लोगों में होता है। मुख्य रूप से यह समस्या उन लोगों में होती है, जिन्हें कोई आनुवंशिकी विकार होता है। सिस्टिने स्टोन्स की स्थिति में सिस्टिने नामक एसिड किडनी से यूरिन में लीक हो जाता है।
गुर्दे की पथरी के लक्षण
गुर्दे की पथरी के अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो इस समस्या के होने का संकेत देते हैं। अत: यदि किसी व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण नज़र आते हैं तो उसे इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए और इसकी सूचना डॉक्टर को तुरंत देनी चाहिए-
मूत्र करते समय दर्द होना– यह पथरी रोग होने का सामान्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को मूत्र करते समय काफी दर्द होता है। इस स्थिति में दर्द मूत्र के समाप्त होने से पहले होता है।
बार-बार मूत्र आना– यदि किसी व्यक्ति को बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है, तो उसे किडनी स्टोन हो सकता है। अत: व्यक्ति को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और इसकी सूचना डॉक्टर को तुंरत देनी चाहिेए।
उल्टी का आना– कई बार ऐसा देखा गया है कि पथरी रोग होने पर व्यक्ति को उल्टी बार-बार होती है। हालांकि, उल्टी आने को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, लेकिन इस स्थिति में व्यक्ति को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ताकि उसे किसी अन्य परेशानी का सामना न करना पड़े।
बुखार का होना– यदि किसी व्यक्ति को बुखार होता है, और वह किसी भी दवाई से ठीक नहीं होता है, तो उसे किसी सूचना डॉक्टर को देनी चाहिए क्योंकि यह किडनी स्टोन का लक्षण हो सकता है।
मूत्र का रूक-रूक कर होना– यदि किसी व्यक्ति को मूत्र रूक-रूक के होता है, तो यह गुर्दे की पथरी का लक्षण हो सकती है क्योंकि यह इस समस्या के होने का संकेत देती है। इसी कारण किसी भी व्यक्ति को इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए।
मूत्र में खून का आना– पथरी रोग का अन्य लक्षण मूत्र में खून का आना भी होता है। अत: किसी भी व्यक्ति को इस स्थिति में कोई भी कदम बिना डॉक्टर की सलाह से नहीं उठाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
गुर्दे की पथरी होने के कारण
डा. पटेल बताते हैं कि पथरी रोग कई कारणों से हो सकती है, जिसके बारे में हर व्यक्ति को पता होना चाहिए। यह समस्या मुख्य रूप से 5 कारणों से हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं-
अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश युक्त डाइट करना
थायराइड का होना
वजन का अधिक होना
बाइपास सर्जरी का कराना
डिहाइड्रेशन का होना
पथरी की स्थिति जब गंभीर हो तो किडनी स्टोन रिमूवल सर्जरी सबसे कारगर सर्जरी होती है। इस प्रक्रिया में सर्जिकल तरीके से किडनी स्टोन को निकाला जाता है। यह पथरी रोग का सर्वोत्तम तरीका होता है, लेकिन इसके बावजूद बहुत सारे लोग इसे कराने से हिचकते हैं क्योंकि वे इसे एक महंगी प्रक्रिया समझते हैं। जबकि पथरी हटाने की सर्जरी एक किफायदी प्रक्रिया है।
गुर्दे की पथरी के जोखिम
यदि पथरी रोग का इलाज सही समय पर न किया जाए, तो यह घातक रूप ले सकती है और इसके कई सारे जोखिम हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख 5 इस प्रकार हैं-
मूत्रवाहिनी का ब्लॉक होना – यदि गुर्दे की पथरी का इलाज समय रहते न किया जाए तो स्थिति बद-से-बदतर हो सकती है। इसके परिणामस्वरूर मूत्रवाहिनी ब्लॉक हो सकती है, जिसकी वजह से किसी भी व्यक्ति के लिए मूत्र करना कष्टदायक हो सकता है।
संक्रमण की संभावना का बढ़ना– मूत्रवाहिनी के ब्लॉक के अलावा कई बार गुप्त अंगों में संक्रमण होने की संभावना बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में मेडिकल सहायता लेना ही बेहतर उपाय साबित हो सकता है।
गुर्दे में खिंचाव का होना- पथरी रोग के लाइलाज रहने पर किडनी की स्थिति खराब हो सकती है और उसमें खिंचाव हो सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति के गुर्दे में दर्द होता है और उसे इसे कम करने के लिए दर्द-निवारक दवाईयों की जरूरत पड़ सकती है।
किडनी का खराब होना– यदि किसी व्यक्ति की किडनी स्टोन काफी समय तक लाइलाज रहती है, तो कुछ समय के बाद उसकी किडनी खराब भी हो सकती है। हालांकि, इस स्थिति में उसे किडनी उपचार के अन्य तरीकों जैसे किडनी डायलेसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
मूत्रवाहिनी में चोट का लगना– किडनी स्टोन का सही समय पर उपचार न होने की स्थिति में इसका बुरा असर मूत्रवाहिनी पर पड़ सकता है। कई बार मूत्रवाहिनी में चोट भी लग सकती है, और उस स्थिति में व्यक्ति को मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ सकती है।
गुर्दे की पत्थरी का रोकथाम
हालांकि, पथरी रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है और इस दौरान व्यक्ति बहुत सारे जोखिमों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके बावजूद राहत की बात यह है कि किसी भी अन्य बीमारी की तरह गुर्दे की पथरी की भी रोकथाम की जा सकती है।
डा.पटेल बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति निम्नलिखित बातों का पालन करता है, तो वह किडनी स्टोन से अपनी रक्षा कर सकता है-
पर्याप्त मात्रा में पानी पीना– जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि गुर्दे की पथरी मुख्य रूप से पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने के कारण होती है। अत: इसकी रोकथाम के लिए व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी (अर्थात् 8-10 गिलास प्रतिदिन) पीना चाहिए।
फ्रूट जूस पीना- यदि किसी व्यक्ति के लिए पानी पीना संभव नहीं है, तो वह इसकी जगह पर फ्रूट जूस भी पी सकता है, क्योंकि यह जूस उसके शरीर में तरलता को बनाए रखते हैं।
कम नमक वाला भोजन करना- गुर्दे की पत्थरी अधिक मात्रा में नमक वाला भोजन करने से भी होती है। अत: व्यक्ति को कम नमक वाला भोजन करना चाहिए ताकि उसमें यह समस्या होने की संभावना न रहे।
कैल्शियम से भरपूर आहार करना- यदि कोई व्यक्ति किडनी स्टोन की रोकथाम करना चाहिए तो उसे ऐसा भोजन करना चाहिए, जो कैल्शियम से भरपूर हो। ऐसा करना उसके लिए लाभदायक साबित होता है क्योंकि उसके शरीर में मौजूद कैल्शियम उसकी इस समस्या से लड़ने में सहायता करेगा।
विटामिन सी वाले सप्लीमेंट से परहेज करना– यदि किसी व्यक्ति को गुर्दे की पथरी की रोकथाम करना है तो उसे विटामिन सी वाले सप्लीमेंट का सेवन नहीं करना चाहिए। किडनी स्टोन से पीड़ित व्यक्ति के लिए ये सप्लीमेंट नुकसानदायक साबित हो सकते हैं क्योंकि यह पथरी रोग की संभावना को बढ़ा सकते हैं।