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प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं को लेकर डॉ योगेश दुबे ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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मुंबई। मुंबई, ठाणे, पालघर, नई मुंबई में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, व अन्य प्रांतों के दिहाड़ी श्रमिक लाखों की संख्या में रह रहे है। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते हुए लॉक डाउन में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते उत्तर भारतीय महासंघ निरंतर इन स्थानों पर अपने पदाधिकारियों के साथ इन लोगो को राशन और भोजन की व्यवस्था करा रहा है। साथ ही संस्था द्वारा फ्री डायलिसिस सेंटर की व्यवस्था की गई है, जहां डॉक्टर लोगों का हरसंभव इलाज कर रहे हैं। हर किसी तक पहुचना फिर भी संभव नही है।

डॉ योगेश दुबे ने कहा कि श्रमिकों का देश के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है इनकी मेहनत की बदौलत बड़े-बड़े निर्माण कार्य संभव होते हैं। ऐसे में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इन श्रमिकों को पूरी सुरक्षा तथा पूरे इंतजाम के साथ उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था करें। उनसे किसी प्रकार का पैसा वसूल न किया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के निर्णय से जो ट्रेन प्रारंभ हो रही है, उसे लेकर इन स्थानों पर रहने वाले दिहाड़ी श्रमिक असमंजस की स्थिति में है। उन्हें फॉर्म भरने से लेकर डॉक्टर के फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए 100 रु से 500 रु पैसे देने पड़ रहे है। जबकि न तो कोई जांच करते हैं। डॉक्टर सिर्फ नाम और उम्र पूछ कर फिटनेस सर्टिफिकेट दे रहे हैं। हजारो की संख्या में लोगो की भीड़ इन डॉक्टरों के यहाँ लगी है, अतः इसे निःशुल्क किया जाए। साथ ही वसई से गोरखपुर के लिए जो ट्रेन गई हैं, उन सभी श्रमिकों से 750 रु टिकट के लिए गए है इसे बिल्कुल फ्री किया जाए इस समय उनके पास पैसे न होने से वे मजदूर काफी निराश है।

इन श्रमिकों की फ्री जांच कराकर ही इन्हें यहाँ से भेजा जाए और सफर के दौरान भोजन की व्यवस्था की जाए। साथ ही बुजुर्गों, महिलाओं, दिव्यांगों और बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाए। डॉ योगेश दुबे ने कहा कि महाराष्ट्र के कई अन्य जिलों के दिहाड़ी श्रमिक भी इन शहरों में है। उन्हें भी उनके गांव पहुचाने की उचित व्यवस्था की जाए। डॉ योगेश दुबे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पूर्व एडवोकेट जनरल सुनील फर्नांडीस तथा एडवोकेट अशोक मिश्रा पैरवी करेंगे।

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