मुंबई। विषम परिस्थितियों में भी पिछले 130 वर्षों से कामकाजी मुंबईकरों के लिए दोपहर का भोजन पहुंचा रहे, करीब 5000 डिब्बावाले पिछले 6 माह से पूरी तरह से बेरोजगार हो चुके हैं। परिणाम स्वरूप उनका पूरा परिवार इन दिनों दाने-दाने को तरस रहा है। मुंबई की संस्कृति में विशेष पहचान रखने वाले मुंबई के डिब्बावालों के इस दर्द को समझते हुए उत्तर भारतीय महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित डॉ योगेश दुबे ने महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया।
आयोग ने डिब्बेवालों की गंभीर स्थिति को देखते हुए, सम्मन जारी कर महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को, 17 सितंबर को आयोग के सामने प्रत्यक्ष रुप से उपस्थित रहने का आदेश दिया है।महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग में दाखिल याचिका में डॉ योगेश दुबे ने मुंबई के सभी डिब्बा वालों को भोजन, वस्त्र और आवास देने के साथ-साथ वित्तीय मदद करने की मांग की है।डिब्बा वालों को फ्री आवागमन पास देने के साथ-साथ उनका और उनके परिवारों का फ्री मेडिकल चेकअप करने की भी मांग की गई है। डिब्बावालों ने डॉ योगेश दुबे की सराहनीय पहल का स्वागत करते हुए उनका आभार माना है।