भदोही में सिस्टम की तामझाम में सिसकती प्रतिभा
भदोही। समाज में कभी कभी ऐसी चीजें देखने को मिल जाती है जो अकल्पनीय है लेकिन सच है। उन चीजों को देखने से लगता है कि ऐसा नही हो सकता लेकिन बातें सोलह आने सच है और ऐसा ही हुआ है।अब ऐसी चीजों को देखने के बाद अनायास ही भगवान की ताकत व कृपा का अहसास हो जाता है। और तब यह विश्वास होने लगता है कि पुराने जमाने के विद्वान सूरदास, तुलसीदास, कालीदास और अंग्रेजी साहित्य के विद्वान जान मिल्टन, ब्रूकर टी वाशिंगटन समेत कई प्रतिभावान तथा आज के समय में जो भी विशेष प्रतिभा के धनी लोग हैं उनपर कही न कही दैवीय कृपा है। सच में भगवान ने सब को हुनर व प्रतिभा दी है बस जरूरत है तो उसे निखारने की।
भदोही जिले में एक ऐसा प्रतिभावान युवक है जिसका दोनों हाथ बिजली की करेंट के जद में आने से गंवाना पडा लेकिन इस शख्स ने जिंदगी से हार नही मानी है और घर पर रहकर ही देश की सबसे बडी परीक्षा आईएएस की तैयारी कर रहा है। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च चलाता है। इस युवक की सबसे बडी बात यह है कि दोनो हाथ न होने के बावजूद कटे हुए हाथों की मदद से ऐसी राइटिंग लिखता है कि लोग देखकर यह अंदाजा नही सकेंगें कि बिना हाथ वाला व्यक्ति लिखा है।
हम बात कर रहे है गोपीगंज क्षेत्र के जौहरपुर निवासी संजय श्रीवास्तव के बडे पुत्र अखिलेश श्रीवास्तव के बारे में जिसके जहन में प्रतिभा कूट कूट भरी है लेकिन विवशता व लाचारी इस प्रतिभावान की जिदंगी को जैसे रोक दिया हो। अखिलेश श्रीवास्तव नवोदय स्कूल से हाईस्कूल प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण किया है और वह नवोदय के तरफ से खो-खो में तीन बार लखनऊ परिक्षेत्र से राष्ट्रीय मैच खेला भी है। 8वीं राष्ट्रीय युवा संसद में भी प्रतिभाग किया और चौथा स्थान प्राप्त किया। कानपुर विश्विद्यालय से स्नातक की डिग्री भी ली है। और लखनऊ में स्थित सूर्या इन्जिनियरिंग कालेज में बिटेक की पढाई कर रहा था। फर्राटेदार अंग्रेजी बोल लेता है अखिलेश और क्रिकेट का अच्छा खिलाडी रह चुका है। लेकिन सूर्या कालेज में ही अखिलेश श्रीवास्तव को करेंट लगता है और परिवार वाले अखिलेश की जिन्दगी बचाने के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिए। हालांकि अखिलेश तो बचा लेकिन उसका दोनों हाथ गंवाना पडा। और अब अपने दैनिक कार्यों के लिए भी परिवार के सदस्यों पर निर्भर है।
अखिलेश के पिता संजय श्रीवास्तव बेटे की इस हालत को देखकर तिल तिल मरने को मजबूर है। संजय ने बताया कि सूर्या कालेज के लापरवाही से मेरे बेटे की यह हालत हुई है और इसके बारे में विद्युत विभाग ने कालेज को दोषी पाया है और मानवाधिकार ने अखिलेश को नौकरी देने का आदेश दिया है लेकिन विवश व लाचार बेटे को नौकरी देने के बजाय मामला माननीय कोर्ट में भेजकर दिन प्रतिदिन मानसिक व आर्थिक हानि का शिकार बनाया जा रहा है। संजय श्रीवास्तव ने तो यहां तक कह दिया कि यदि हमारे बेटे के न्याय न हुआ तो मै आत्महत्या कर लूंगा।
अब इस तरह की हालात को देखकर लगता है कि काश ऐसे प्रतिभाशाली व विवश युवक की मदद के लिए राजनेता, समाजसेवी आगे आते और अखिलेश को आगे बढाने में सहयोग देते। जो सच में समाज के लिए एक मिशाल है कि हाथ न होने के बावजूद ऐसी लिखाई कि लोग शरमा जाए।
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