ठाणे। महाराष्ट्र सरकार पोलिस विभाग व परिवहन विभाग का ध्यान नालासोपारा नायगाँव वसई विरार की तरफ नहीं जा रहा है। वहां के चालक शिवप्रकाश जौनपुरी ने बताया कि मैं प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ जहाँ आये दिन बेतरतीब उदंडता पूर्ण वाहन चालक से कइयों को अपनी जान गँवानी पड़ रही है। इसके बावजूद भी वहाँ प्रशासन मूक बधिर पंगु सा बना है। इन उदंड वाहन चालकों पर उचित कार्यवाई न होना इसी तरफ इशारा कर रहा है। बारह से पंद्रह साल के बच्चे आपको आटो चलाते, बाइक चलाते रोड पर उदंडता करते और लोगों की जिन्दगियों से खिलवाड़ करते सरपट दौड़ रहे हैं और प्रशासन मूक बधिर पंगु बना देख रहा है। ऐसी क्या मजबूरी है जो प्रशासन इन उदंड वाहन चालकों पर नकेल कसने से कतराता है?
ऐसे लोग सदैव मिल जायेगें जो कानून को ठेंगा दिखाते हुए, दस साल के बच्चे को आटो कार या बाइक सिखाते मिल जाते हैं। ऐसे अभिभावकों पर भी नकेल नहीं कसी जा रही है। गरीब अर्थार्जन के लिए बच्चों से वाहन चलवा रहे हैं तो अमीर अपनी अमीरी दिखाने के लिए। वसई तालुकांतर्गत तो आधे से ज्यादा के पास न लाइसेंस है न कागजात हैं और छोटे बच्चे बाइक लेके जब निकलते हैं तो एक पे तीन से चार सवार होते हैं। खास बात यह भी है कि सही दिशा में कम उल्टी दिशा में अधिक चलते हैं। चाहे हाइवे हो, लिंक रोड हो या गली, हर जगह ये उदंड स्वछंद उत्पात करते मिलते हैं।
नायगाँव की तो हालत यह है कि एक रिक्शे में जब तक छ सवारी न बैठ जाय, रिक्शेवाला चलता ही नहीं। जनता की परेशानी यह है कि मजबूरी में जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हें। जब तक अपनी मंजिल पर पहुँच नहीं जाते, अपने को ना ही समझते हैं। उतरने के बाद एक लम्बी साँस लेते हैं, ईश्वर को धन्यवाद देते हैं, प्रशासन को कोसते है, बुझे मन से भारी कदमों से घर पहुँच कर अपने को जीवित महसूस करते हैं। इस अनचाहे भय से आम शरीफ शहरी को उबारने के लिए प्रशासन को अपनी भरपूर प्रशासनिक क्षमता का उपयोग कर खुरापातियों के मन मेंप्रशासन का भय उत्पन्न करना चाहिए। न कि शरीफों को परेशान करने के लिए फालतू के कानून बनाने चाहिए। बगैर दंडात्मक कार्यवाई के लोग नियमों को नहीं मानने वाले।ये खुरापाती तत्व जो हैं जब तक इनका विधिवत पोस्टमार्टम नहीं होगा। फाइन बढा़ देने भर से कुछ नहीं होने वाला। जब तक गहनता से ऐसे लोगों को पकड़कर सजा नहीं दी जायेगी। ऐसे ही नियमों का माखौल उडा़ते हुए प्रशासन का मजाक बनाये लोगों की जान जोखिम में डालते रहेगें।
शासन प्रशासन से निवेदन है कि ऐसे उदंड स्वछंद नियमों को ताक पर रखकर चलने वाले वाहन चालको पर गहन छानबीन कर कठोर दंडात्मक सजा का प्रावधान करें। इनके अंदर कानून का भय पैदा करे। जिससे लोगों का जीवन सुरक्षित हो।