मुम्बई: क्रिकेट का नाम लेते ही जेहन में बस एक ही नाम आता है, सचिन तेंदुलकर जिनके गुरु माने जाने वाले रमाकांत आचरेकर का 87 साल की उम्र में निधन हो गया है। आचरेकर का जन्म 1932 में हुआ था।जिन्हें क्रिकेट जगत का द्रोणाचार्य भी कहा जाता है। आचरेकर का सचिन तेंदुलकर को एक शानदार क्रिकेटर बनाने में अहम रोल रहा है।
आचरेकर युवा क्रिकेटरों के अच्छे प्रशिक्षु भी थे। मुंबई के शिवाजी पार्क में युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षित के लिए वह सबसे ज्यादा मशहूर रहे हैं। आचरेकर सचिन तेंदुलकर के कोच रहे है। उन्होंने विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, समीर दिगे और बलविंदर सिंह संधू जैसे क्रिकेटरों को निखारा है।
बीसीसीआई ने भी ट्वीट कर रमाकांत आचरेकर के निधन पर शोक प्रकट किया है।
2010 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। 1990 में उन्हें क्रिकेट कोचिंग की अपनी सेवाओं के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 12 फरवरी 2010 को उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कोच गैरी कर्स्टन द्वारा ‘जीवन भर के अचीवमेंट’ से सम्मानित किया गया था।
1988 में सचिन तेंदुलकर और विनोद काबंली ने स्कूल क्रिकेट में 664 रनों की पारी खेलकर नया रिकॉर्ड बनाया था। सचिन की उम्र उस समय 15 साल से भी कम थी। वहीं, कांबली 16 साल के थे। उन्होंने शारदाश्रम विद्यामंदिर की ओर से खेलते हुए सेंट जेवियर्स के खिलाफ हैरिस शील्ड सेमीफाइनल में क्रमश: 326 और 349 रनों की पारी खेली थी। इस समय उनके कोच रमाकांच आचरेकर ही थे। आचरेकर सदैव युवा क्रिकेटरों के प्रेरणास्रोत रहे है।