भदोही। सरकार तो गरीबों के बेहतरी के लिए नित नया काम करती है लेकिन शासन के कार्यो को अमली जामा पहनाने वाले बेचारे सम्बन्धित विभाग के अधिकारी और कर्मचारी केवल अपने स्वार्थ के चक्कर में केवल कागजी खानापूर्ति करने में लगे रहते है। और विभाग में लापरवाही व मिलीभगत से काम को निपटाते रहते है। और पात्र और अपात्र का निर्णय उनसे जुडे ग्रामसभा के जिम्मेदार लोग करके देते है और बेचारे अधिकारी अपना आंख कान खोले बिना उस पर विश्वास करके सरकार को फर्जी व झूठा रिकार्ड भेजकर अपनी ड्यूटी पूरी कर लेते है। अधिकारियों को यह नही समझ में आता कि जो सूची आई है उसकी सत्यता जांच कर आगे शासन को भेजा जाए लेकिन उनके नुमाइंदे जो सूची बनाकर भेज दिये है वह ब्रह्मलेख है। उस सूची में बदलाव शायद ही संभव हो।
एक ऐसा ही मामला डीघ ब्लाक के बेरासपुर गांव में देखने को मिला है जहां पर आपूर्ति विभाग अन्त्योदय कार्ड उनको भी बांट दिया है जो गांव में खास स्थान रखते है। जबकि वही कुछ ऐसे भी लोग है जिनको खाने के लाले पडे है फिर भी आपूर्ति विभाग मौन है। जानकारी के मुताबिक आपूर्ति विभाग ने ऐसा भी अन्त्योदय कार्ड जारी किया है जिनके यहां कई बीधे खेत, चार पहिया वाहन, पम्पिंग सेट इत्यादि है और उनका रहन सहन किसी बडे आदमी से कम नही है। और करीब बीसों वर्ष से सरकार की योजना का दुरूपयोग हो रहा है लेकिन विभाग मौन बनकर बैठा है।
वही एक गरीब कैलाशी निषाद (219840672287) जो वृद्ध पति-पत्नी रहते है। उनको आपूर्ति विभाग मात्र 10 किलो राशन दे रहा है जबकि उनके कार्ड में कोटेदार ने पांच यूनिट कराकर 15 किलो राशन हर माह हड़प रहे है। बीपीएल कार्ड के समय कैलाशी को 35 किलो मिलता था लेकिन अन्त्योदय कार्ड होने पर उनका कार्ड पात्र गृहस्थी कर दिया गया और अब मात्र 10 किलो राशन मिलता है। जबकि कोटेदार की चचेरी सास और देवरानी के नाम अन्त्योदय कार्ड है। ऐसे ही बेरासपुर में कई अपात्र है जो कोटेदार व विभाग की मिलीभगत व लापरवाही से गरीबों के हक के राशन को हड़प कर सरकार की योजना की धज्जियां उडा रहे है।