सुरियावां। सिंघम एक फिल्मी नायक। जिसके इलाके में पुलिस का खौफ इतना था कि अपराधी अपराध करने से घबराते थे। आम जनता पुलिस के नाम पर खुद को सुरक्षित महसूस करती थी। उसी तर्ज पर भदोही की मीडिया ने इंस्पेक्टर सुनील दत्त दूबे को सिंघम की उपाधि दे दी। हालांकि खोये बच्चों को ही ढूंढने में उन्हें महारत हासिल है। किन्तु इस समय जिस तरह सुरियावां क्षेत्र में दबंगों द्वारा घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है उस पर लगाम लगा पाने में सुरियावां पुलिस नाकाम साबित हो रही है।
बता दें कि करीब दो सप्ताह पूर्व प्रदीप सूरज और मुरारी नामक दबंग युवकों ने सुरियावां निवासी विकास को बुरी तरह मारपीट कर घायल कर दिया। विकास के सिर में कई टांके भी लगे। उसके बावजूद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। पुलिस की लापरवाही का नतीजा यह रहा कि
आरोपियों ने अग्रिम जमानत ले ली और फिर आतंक मचाना शुरू कर दिया। आरोप है कि उन्हीं लोगों ने कौआपुर में कुछ लोगों को मारपीट कर घायल कर दिया।
इसी तरह सुरियावां बाजार में भी एक महिला को मारा पीटा गया। बाजारवासियों का कहना है कि मौजूदा समय में दबंगों की मनमानी के कारण व्यवसाईयों में काफी दहशत व्याप्त है। विकास को मारने वाले आरोपी दलित वर्ग से है। लिहाजा लोग मार खाकर और गाली सुनकर भी चुप रहते हैं। उन्हें डर है कि यदि वे उसका विरोध करेंगे तो पुलिस उन्हें फर्जी एससीएसटी में फंसा देंगी। देखा जा रहा है कि मोदी सरकार में जो विधेयक दलितों के हित के लिये लाया गया था। उसी का कुछ लोग दुरूपयोग कर रहे हैं जिसके कारण सुरियावां क्षेत्र के लोगों में दहशत बनी हुई है।
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