Home भदोही द्वारकाधीश श्री कृष्ण व रुक्मणी विवाह पर फूलों की वर्षा

द्वारकाधीश श्री कृष्ण व रुक्मणी विवाह पर फूलों की वर्षा

1354
0
हमार पूर्वांचल
स्वामी रामानंद जी

जंगीगंज(भदोही): डीघ विकासखंड के धनीपुर गांव में चल रही श्रीमद्भभागवत कथा के छठवे दिन गुरुवार को उद्धव चरित्र रुक्मणी विवाह प्रसंग डालते हुए कथा का रसपान वृंदावन से पधारे स्वामी रामानंद जी ने बताया कि भगवान हमेशा भक्तों का साथ देते हैं जो भक्त भगवान की भक्ति और गुणगान करता है उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है उन्होंने उद्धव चरित्र रुक्मणी विवाह प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निस्वार्थ रूप से किया गया प्रेम भी भक्ति है जहां स्वार्थ है वहां प्रेम नहीं है भगवान श्रीकृष्ण ने निस्वार्थ भाव से रुक्मणी से विवाह किया। भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी विवाह उत्सव में शामिल हैं उनकी वैवाहिक समस्या दूर हो जाती है, उन्होंने कहा कि रुकमणी के भाई ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित किया लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि शिशुपाल से नहीं द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण से विवाह करेंगी जो सत्य मार्गी हैं। इसलिए द्वारकाधीश के लिए संकल्प लिया था। श्रद्धा भाव से कथा सुननें वाली कन्याओं की अच्छे घर वर की प्राप्ति होती है।

कथा वाचक श्री रामानंद महराज जी ने कहा कि आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति आवश्यक है। भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और कथा के छठे दिन कृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रूक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खुब आनंदित किया। कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया। भागवत कथा के छठे दिन कथा स्थल पर रूक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण-रूक्मणी की वरमाला पर जमकर फूलो की बरसात हुयी।  पिछले छ: दिनों से चल रही भागवत कथा ने गद्दी सेवक स्त्री पुरूषों की दिनचर्या को ही बदल कर रख दिया है।

हमार पूर्वांचल
भागवत कथा सुनते श्रद्धालु

जब से भागवत कथा प्रारम्भ हुई जो व्यक्ति संस्कार युक्त जीवन जीता है वह जीवन में कभी कष्ट नहीं पा सकता। व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या के संबंध में उन्होंने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर यज्ञ करना, तर्पण करना, प्रतिदिन गाय को रोटी देने के बाद स्वयं भोजन करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर सदैव प्रसन्न रहतें है। भगवान श्री कृष्ण ने जो ही रुकमणी के गले में जयमाल डाला जय कारे से झूम उठे श्रोता, विवाह में शामिल भक्तों ने पाव पूज कर दान किया मौके पर अनिल कुमार मिश्र, मनोज शुक्ला, सुशील मिश्र, शशिचन्द्र मिश्र, अवनीश कुमार मिश्र, प्रिंस मिश्र, अंकुर मिश्र, दीपक मिश्रा(मीडिया प्रभारी भाजयुमो) इत्यादि लोग शामिल रहे।

Leave a Reply