सरकारी महकमे में फर्जीवाड़ा बदस्तूर जारी
वाराणसी भारत में भ्रष्टाचार आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है और आजादी के एक दशक बाद से ही भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था। इसीलिए संसद में 21 दिसम्बर 1963 को भ्रष्टाचार के खात्मे पर बहस हुई। डॉ राममनोहर लोहिया ने कहा था कि सिंहासन और व्यापार के बीच भारत में सम्बन्ध जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है, जो आज भी प्रासंगिक है। किसी भी देश में भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही इसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हो गयीं हैं कि उसे खत्म कर पाना संभव नहीं दिख रहा है। बावजूद पीएम मोदी ने मई 2014 में देश की सत्ता संभालते ही हिन्दुस्तान की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा किया था। परन्तु भ्रस्ट नौकरशाहों के चलते वे अपने मंसूबों में सफल होते नहीं दिख रहे हैं।
ऐसा ही एक वाक्या 20 जून को मथुरा जिले में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी शिक्षक भर्ती में करोड़ों की धांधली का मामला पकड़े जाने के बाद भी ऐसे मामलों में कमी नहीं आ रही है। प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 12460 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हेतु प्रदेश के 51 जनपदों हेतु शासनादेश संख्या बे.शि.प./1795-1964/2016 दिनांक 09.05.2018 को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित करते हुए लिखा कि शासनादेश संख्या 3300/79-5-2016-4127/2013 दिनांक 15 दिसम्बर 2016, शासनादेश संख्या 537/79-5-2018 दिनांक 11.04.2018 के क्रम में 21 एवं 22.12.2016 को निर्धारित पदों हेतु विज्ञापन का प्रकाशन कराते हुए 28.12.2016 को एन.आई.सी.की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। जिसमे स्पष्ट रूप से अंकित था कि जिन जनपदों में पद विज्ञप्ति नहीं हैं उन जनपदों के प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी अन्य जनपद में प्रथम वरीयता जनपद के आधार पर आवेदन के पात्र होंगे। परन्तु कुछ अभ्यर्थियों ने दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए एक से अधिक जनपदों में अलग-अलग आवेदन पत्रों के माध्यम से कई जनपदों में प्रथम वरीयता के आधार पर आवेदन किया। जबकि शासनादेश में स्पष्ट रूप से अंकित था कि जिन अभ्यर्थियों ने एक से अधिक जनपदों में आवेदन किया है उन अभ्यर्थियों को प्रथम सूची में शामिल न किया जाय। जिसके क्रम में जनपद बलिया, सोनभद्र, सुल्तानपुर, अलीगढ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सचिव बेसिक शिक्षा के निर्देशों का पालन करते हुए जारी सूची को संशोधित करते हुए भर्ती प्रक्रिया के लिए नई सूची जारी कर दी। परन्तु मिर्जापुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सचिव के निर्देशों का पालन न करते हुए एक से अधिक जनपदों में आवेदन किये अभ्यर्थियों को सूची में शामिल कर भर्ती प्रक्रिया की कार्यवाही को पूर्ण करने का कुचक्र कर डाला।
अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में हुआ करोड़ों का वारा-न्यारा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मिर्जापुर जनपद में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में 10 से 15 लाख रूपये लेकर काउंसलिंग की प्रकिया को पूर्ण किया गया। जनपद में कुल लगभग 50 अभ्यर्थियों का चयन हुआ यदि प्रति अभ्यर्थी दिए गए धनराशि को जोड़ा जाय तो भर्ती प्रक्रिया में करोड़ों रूपये का खेल हुआ है। जबकि पात्र अभ्यर्थी इस घोटाले के चलते चयन प्रक्रिया से वंचित हो गए।
ईनामदारी का चोला पहने ऐसे अधिकारियों ने प्रशासन औऱ कड़ाई के नाम पर वसूली केंद्र चालू कर रखा है हर जनपद मे !
ऐसे अधिकारियों के प्रति कड़ी कार्यवाही की आवयश्कता !