सबका साथ सबका विकास का नारा देकर सत्ता में आयी भाजपा सरकार से प्रदेश ही नही अपितु पूरे देश को उम्मीद है। ऐसे मे भ्रष्टाचार मुक्त भारत सबसे बड़ा मुद्दा है और विशेषकर शिक्षा जगत जो कि विकास की रीढ़ है। जिस तरह से कस्तुरी गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के अनामिका शुक्ला प्रकरण के प्रकाश मे आते ही लगभग 62 शिक्षिकाओं का भंडाफोड़ हुआ। ठीक इसी तरह का एक मुद्दा विश्वविद्यालयों में अनुमोदन घोटाला है। एक शिक्षक का एक से अधिक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अनुमोदन है। यह छात्र भी जानते है, अभिभावक भी और प्रबंधन भी फिर भी यह बहुत जोरो से चल रहा है। जो कि उच्च शिक्षा के लिए कोढ बना हुआ है। यदि इसकी जांच की जाये तो 13 राज्य विश्वविद्यालयों में से डाक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी, जननायक विश्वविद्यालय बलिया के हिन्दी, बीएड, शिक्षा शास्त्र, समाजशास्त्र, गृहविज्ञान विषयों मे लिखित रूप से अनुमोदित एक ही शिक्षक कार्यरत मिलेगे।
उत्तर प्रदेश के अन्य राज्य विश्वविद्यालयों ने अभी भी एक्सल सीट में विवरण आनलाइन नही किया है। यूजीसी से मान्यता प्राप्त लगभग 34 विषय है। यू कहा जा सकता है कि पूरा प्रदेश अनुमोदन घोटाले में है। शिक्षक और प्राचार्य केवल विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के अभिलेखों में ही है। यहाँ तक की बीएड जैसी शिक्षा भी अनुमोदन घोटाले का शिकार है। शिक्षक संगठन ने माननीया राज्यपाल जी से मांग की है जब तक अनुमोदन घोटाला खत्म नही हो जाता स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के शिक्षकों का एक पोर्टल पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नाम, पिता का नाम विषय जन्मतिथि, आधार नंबर मोबाइल नंबर, पैन नंबर के साथ विवरण सार्वजनिक नही हो जाता तब तक बीएड जैसे विषय की महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षा पर रोक लगाते हुए स्नातक और परास्नातक के भी प्रवेश पर रोक लगायी जाय। जब महाविद्यालय में शिक्षक और प्राचार्य उपस्थित हो तब ही महाविद्यालयों का संचालन हो।