चित्रकुट अखण्डाश्रम भिदिउरा परिसर में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिन भक्तों ने संगीतमयी राम कथा का जमकर आनंद उठाया। कथाकार अनिल पाराशर जी ने श्रीराम की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान राम की कथा हमें एकता के सूत्र में बांधती है। रामकथा के श्रवण से मन के राग, द्वेष, ईष्र्या और भेदभाव स्वत: समाप्त हो जाते है। यह मन को शांत कर हिंसक भावनाओं को रोकती है।
उन्होंने भगवान श्री राम के चरित्रों का विस्तार से वर्णन कर अनेकों प्रसंग सुनाए। उन्होने ने कहा कि परमात्मा जन कल्याण के लिए लीलाएं करते हैं और मनुष्य कार्य करता है। उन्होंने राम नाम की महिमा बतलाते हुए कहा कि राम का नाम अनमोल हैं, यदि पापी भी राम का नाम लेता हैं तो उसे सदगति मिल जाती है। उन्होंने कहा कि जिसके हृदय में प्रभु के प्रति भाव जगते हैं, जिस पर हरि कृपा होती है। वह मनुष्य ही प्रभु की कथा में शामिल होता है। भागवत कथा का मनोयोग से श्रवण कर उसके उपदेश को जीवन में उतारे। तभी कथा की सार्थकता है। मन व ध्यान की एकाग्रता से हर कार्य में सफलता मिलती है।
भगवान राम का चरित्र पूरी तरह निर्मल था। हर घर में बेटे के रूप में राम का अवतार हुआ है । लेकिन आपसी मतभेद,क्लेश और लालच बस भाई-भाई आपस में लड़ रहे हैं। खुद को राम-लक्ष्मण मानकर पहले परिवार का कल्याण करें। खुद को भगवान का राम मान लेने से मन में कुविचार नहीं आते हैं।
बता दें कि सोमवार को श्रीराम कथा एवं महायज्ञ के पांचवे दिन अनिल पाराशर महाराज का प्रवचन सुनने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े । आस पास के साथ साथ दूरदराज के क्षेत्र से महिला-पुरुष श्रद्धालु प्रवचन सुनने एवं रुद्राचण्डी महायज्ञ मे सम्मिलित होने के लिए पहुंच रहे हैं । प्रवचन,भजन,कीर्तन व वैदिक मंत्रोच्चारण से पूरा इलाका भक्तिमय हो गया है ।
इस दौरान राजेश जी महराज, विधिभुषण दास जी, कन्हैया लाल मिश्र, डा राकेश दूबे, रमा उपाध्याय, गौरीशन्कर यादव, आचार्य ब्रजेन्द्र त्रिपाठी, अशोक यादव,महेन्द्र मौर्य,नन्दलाल हरिजन,हरषू तिवारी समेत सैकडो भक्त उपस्थित रहे.