गोपीगंज नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बारे में लोगों के जुबा पर यह चर्चा बन ही जाती है कि आखिर यह अस्पताल किस मर्ज की दवा देता है, और कैसे रोगियों को देखता है। बताते चलें गोपीगंज नगर स्थित राजमार्ग पर बसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जो एक प्रमुख अस्पताल के नजरिए से जाना तथा पहचाना जाता है। ऐसे हॉस्पिटल की दीन दशा पर ग्रामीण अपने गंभीर मरीजों को लेकर चिंतित रहते हैं कि उक्त हास्पिटल में पहुंचने के बाद उनका उपचार हो भी पाएगा या नहीं।
ऐसा ही वाकिया मंगलवार को देर रात तब हुआ जब गोपीगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी अपनी गर्भवती पुत्री को 108 एंबुलेंस से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे जहां ड्यूटी पर तैनात महिला कर्मी ने बताया कि सभी स्टाफ अपने घर सोने गए हैं और पूछे जाने पर कि आप डिलीवरी नहीं करवा पाओगी तो उसका जवाब था कि नहीं मैं नहीं करवा पाऊंगी। जवाब मिलने के बाद ग्रामीण बेटी को निजी चिकित्सालय ले जाकर डिलीवरी करवाया।
बताते चलें ऐसे ही सवालों के घेरे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हमेशा प्रचलित रहा करता है और सुर्खियों में बने रहता है। वहीं लोगों में इस बात की भी चर्चा बन जाती है कि जहां केंद्र तथा प्रदेश की सरकार सभी हॉस्पिटलों पर विशेषज्ञ चिकित्सा कर्मियों की नियुक्तियां करके उन्हें अच्छी तनख्वाह देते हैं तो ऐसी स्थिति में इस तरह का जवाब देना क्या उचित है। जिसको लेकर आम लोगों में हॉस्पिटल व्यवस्था के प्रति रोष भी व्याप्त है रोष व्यक्त करने वालों में दधिबल सिंह, अभय,योगेंद्र यादव, राकेश, शिवांशु, बच्चन, राम छबीले समेत लोग रहे।