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लोकतंत्र मे अपना विरोध जताना सबका हक! गिरफ्तार बुद्धिजीवीयों मामले में कहा सुप्रीम कोर्ट

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साभार : गूगल
साभार : गूगल

महाराष्ट्र: दिन भर देश भर मे मचे बुद्धिजीवीयों के गिरफ्तारी बवाल पर सुप्रीम कोर्ट के सुनाई थी,जिसमे कोर्ट ने साफ तौर पे कहा कि इस लोकतंत्र मे अपनी बात रखना सबका हक है,अपने हक के लिए लोगो का विरोध करना जायज है कृपया सरकार किसी की आवाज दबाने की कोसिस न करे।

वही सुप्रीम कोर्ट ने पुणे भीमा कोरेगांव केस मे गिरफ्तार बुद्धिजीवीयों वामपंथी विचारक को नजरबंद रखने को कहा,बता दे भीमा कोरेगांव बहुचर्चित मामले मे पुणे पुलिस ने कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर पाँच कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया था। जिसमे पुणे पुलिस का दावा है कि इस लोगों के तार कई बड़े नक्सलियों से जुड़े हो सकते हैं। पुणे पुलिस ने देश में हिंसा फैलाने और नक्सलियों से संबंध के आरोप में मंगलवार को इन पांचों लोगों को अलग-अलग जगहों पर छापेमारी के बाद पाँच सामाजिक कार्यकर्ताओं और वामपंथी विचारकों सुधा भारद्वाज, वरवर राव, अरुण परेरा, गौतम नवलखा, वर्णन गोन्साल्वेज को गिरफ्तार किया है। पाँचों आरोपियों को सेक्शन 153 A, 505(1) B,117,120 B,13,16,18,20,38,39,40 और UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था।

जिसमे से गौतम नवलखा, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार (दिल्ली से गिरफ्तार) ग्वालियर में जन्मे गौतम नवलखा एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार हैं । वही मुंबई में रहने वाले वर्णन गोन्साल्वेज को उनके दोस्तों की ओर से चलाए जा रहे एक ब्लॉग में ‘न्याय, समानता और आजादी का जोरदार पैरोकार’ बताया गया था । अरुण परेरा, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता (मुंबई से गिरफ्तार) मुंबई के रहने वाले नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और लेखक हैं। सत्तावन साल की सुधा भारद्वाज एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और वकील हैं। अठहत्तर साल के वरवर राव तेलंगाना के वारंगल के रहने वाले हैं। वो क्रांतिकारी लेखन और सार्वजनिक भाषणों के लिए प्रसिद्ध लेखक और विचारक हैं।

भीमा कोरेगांव मामले में पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच में सुनवाई हो चुकी है। कोर्ट ने पांचों वामपंथी विचारकों को 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट में रखने का आदेश दिया है।मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।

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