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फैजाबाद के इस कवि एवं साहित्यकार को मुंबई में ही मिला एक और पुरस्कार

हमार पूर्वांचल

ठाणे: पश्चिम के मराठी ग्रंथ संग्रहालय के सभागृह में 14 अक्टूबर की शाम 5 बजे से आयोजित कार्यक्रम जो अखिल भारतीय अग्नि शिखा मंच (नवी मुंबई) एवं प्रेमांजली साहित्य संस्था (ठाणे) के संयुक्त तत्वाधान में कराया गया उसमें साहित्य भूषण सम्मान उपस्थित गणमान्यो के कर कमलो द्वारा पवन तिवारी को प्रदान किया गया।

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बता दें कि श्री तिवारी उक्त जिले के आलापुर तहसील के ही जहांगीरगंज प्रखण्ड के अलाउद्दीनपुर के निवासी है। बचपन के पंकज नामक उद्ंड स्वभाव के बालक जिनको इनके पिताजी चिंतामणि तिवारी द्वारा बार बार फटकार मिलते रहती थी उन्होने सपने में भी नही सोचा था कि उन्हे मुंबई में पुरस्कार के बाद पुरस्कार मिलते रहेगें।

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बतातें चलें कि इनके गांव के बगल मे ही असनारा गांव के मेले में चार आना पैसा लेकर मेला घूमने गये श्री तिवारी ने चवन्नी का मेला पर ही एक किताब लिख डाली जिसका पहला संस्करण 2005 मे तथा दूसरा संस्करण 2008 में प्रकाशित हुआ जिसपर पाठको का जबदरदस्त प्रतिसाद मिला।

1998 में मुंबई में कदम रखनेवाले श्री तिवारी को लेखन की लत 12 वर्ष की उम्र से ही लग चुकी थी और 20 वर्ष की आयु में वे ‘दररोज ‘नामक पत्रिका के संपादक भी बन चुके थे। शुरुवात के दौर मे इन्होने कल्याण पूर्व के चिंचपाङा क्षेत्र मे अपना ठिकाना बनाया जबकि फिलहाल ठाणे पश्चिम के ही किसननगर क्षेत्र से अपनी लेखनी को साहित्य लेखन और काव्य लेखन पाठन का अपना रसधार दें रहे है।

ज्ञातव्य हो कि अभी हाल ही में 2017-18 के दरम्यान अठन्नी वाले बाबूजी नामक उपन्यास के लेखन के बदौलत जनवरी 2018 में महाराष्ट्र साहित्य अकादमी पुरस्कार द्वारा शिक्षामंत्री विनोद तावडे के हाथो इन्हे पुरस्कृत किया गया है जिस कारण इनको चाहने वालो एवं इनके पाठको मे खुशी की लहर व्याप्त है।

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