विनय शर्मा दीप की रिपोर्ट
जौनपुर। शहर के आस-पास गांवो में छुटे हुए गाय,बैल,सांड का आतंक इतना भयानक रूप ले लिया है कि गाँव के रहिवासी उनके डर से खेतों में नहीं जाते। विगत कई महीनों से सरकार का फैसला किसानों के लिए घातक सिद्ध हुआ है जिससे भविष्य में किसान अपने बच्चों के भरण-पोषण हेतु चिंतित हैं। गाँव से लेकर शहर तक के व्यक्ति जो गाय,बैल,भैंस आदि अपनी आवश्यकता की पूर्ति हेतु पालते हैं, किन्तु जब घर में जानवरों को चारा खिलाने का भंडार खत्म हो जाता है और उन्हें चारा खरीद कर खिलाने की ताकत नहीं रह जाती तो उसे बाहर सुदूर छोड़ आते हैं।
वहीं जानवर किसानों द्वारा की गई मेहनत पर पानी फेर देते हैं अर्थात् जिस फसल के पैदावार के लिए किसान अपने परिवार के साथ रात-दिन एक करके परिश्रम करता है और फसल की उपज बढाने की कोशिश करता है। उसी फसल को जानवर जाकर खा जाते है। जिससे फसल नष्ट हो रहा है। किसान चिंतित होकर अपना स्वप्न खोते देख परेशान हैं।
पहले घर पर जानवर की संख्या बढ़ने पर किसान जानवरों को बेच देता था पर सरकार की नीतियों के कारण आज किसान परेशानियों का सामना कर रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए मवेशियों के लिए एक ऐसा स्थान निर्धारित करे जहाँ किसान जानवरों को बाहर छोड़ने की बजाय मवेशी खाने में ले जाकर छोड़ आयें। यदि ऐसा प्रावधान सरकार बनाती है तो भविष्य में किसानों के साथ हो रही ऐसी दुर्दशा से न्याय अवश्य मिलेगा और किसानों की फसल भी नष्ट होने से बच जायेगी ।