किसानों को बताए गए जैव उर्वरक के गुण एवं बांटे गये नि:शुल्क पैकेट
जौनपुर : वीएचयू की जैवप्रौद्योगिकी विभाग की तरफ शाहगंज ब्लाक के रानीमऊ और सेठुआपारा गांव में किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें किसानों को जैविक खाद के प्रयोग और उसकी उपयोगिता के बारे में बताया गया। और जैव उर्वरक को घर में ही बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.जेपी वर्मा की लैब में जैव उर्वरक पर शोध कार्य चल रहा है। इनके निर्देशन में शोध छात्र गोवर्धन कुमार, अर्पन मुखर्जी और आनंद कुमार की एक टीम रानीमऊ गांव पहुंची।
जहां-जहां मौजूद किसानों को जैविक खाद के उपयोग करने से होने वाले लाभ और रासायनिक खाद के उपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी गयी। शोध छात्रों ने समय समय पर मिट्टी के नमूने की प्रयोगशाला में जांच की सलाह दी। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.जेपी वर्मा की शोध टीम ने किसानों को जैव उर्वरक को घर में ही बनाने की ट्रेनिंग दिया। बताया गया कि किसान भाई 5 से 10 रुपये के खर्च में एक किलो जैव उर्वरक घर में तैयार कर सकते हैं। इसके प्रयोग से जहां 25 से 30 प्रतिशत अनाज की पौष्टिक गुणवत्ता में वृद्धि होती है। वहीं इससे उत्पादित खाद्यान्न के प्रयोग से लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है। जैविक उर्वरक कि प्रयोग गेहूं के अलावा धान, चना, मटर, अरहर, मक्का, सरसों और सब्जियों के फसल में भी किया जा रहा है। जैव उर्वरक से उत्पादित फसलों के दाने सुडौल और स्वस्थ होते हैं। इसमें स्वाद अधिक होता है।
जैविक उर्वरक के प्रयोग से 50 फीसदी तक रासायनिक खाद को बचाया जा सकता है। इसके प्रयोग से पेट व सिर दर्द, कैंसर, अल्सर, लकवा, हार्ट अटैक जैसी भयंकर बीमारियों से बचा जा सकता है। इस दौरान शोध छात्र गोवर्धन कुमार चौहान और आनंद कुमार गौरव ने जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशक का पैकेट किसानों को नि:शुल्क रूप से वितरित किया। इसी तरह सेठुआपारा गांव में भी संगोष्ठी के माध्यम किसानों को जैव उर्वरक के बारे में जानकारी देते हुए किसानों को नि:शुल्क जैव उर्वरक का पैकेट दिया गया। इस मौके पर प्रधान राकेश कुमार राजभर, पूर्व प्रधान जय प्रकाश, दयाराम, नीबू लाल, राजू, जयराम, राजबहादुर, प्रदीप, जितेन्द्र समेत अन्य किसान मौजूद रहे।