Home मन की बात व्रत,उपवास पर्व त्यौहारोंका था पर होली – डाॅक्टर मीरा पांडे

व्रत,उपवास पर्व त्यौहारोंका था पर होली – डाॅक्टर मीरा पांडे

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भारतीय परिवेश में पर्वो और त्योहारों का आना व् मनाना सम सामयिक ,प्रासंगिक एवं आत्मिक विकास ,आत्मबोध ,का द्योतक माना जाता है। जीवन की एकरसता को दूर करने व् तन मन में स्फूर्ति लाने का काम इन्ही ब्रत ,उपवास ,पर्व त्योहारो का था। मन तन को सहज सरल करना ,आत्मा को विकसित करना ही भारतीय संस्कृति है जो इन पर्वो त्योहारों से विकसित होती है।समय ,काल , परिस्थितियों के बदलते परिवेश ने विकास का नया आयाम स्थापित किया ।मूल्यों का ह्वास हुआ लोग परिवारवाद से दूर हुए ।सुख दुख मिलना मिलाना मंत्री गुण का अभाव्,बाजारवाद का एकाधिकार भौतिक जीवन संतुष्टि नेलोगो कोा अलग थलग कर दिया ।

दूसरा कारण भारत कृषि प्रधान देशः होने के कारण सारे पर्व त्यौहार नये अन्न पर आधारित होते है ।अन्न ही ब्रह्म है ।के सिद्धांत परहोली दिवाली का त्योहार आधारित होता है ।लेकिन शहरीकरण होने के कारण हमें नये अन्न का पूजा करना उसे वितरण करना प्रसाद केरूप में सब कुछसमाप्त हो गया। नये जोशसे त्यौहार मनाने पर प्रश्न चिन्ह लग गया ।लोग होली मिलन स्नेह मिलन घर से दूर जाकर मनाने लगे गले मिलने लगे ।खा ली हाथ खाली मन से घरवापस आने लगे। लोग बदले लोगों का मानक बदला त्योहारों का स्वरूप बदल गया हम साहित्यकरों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है त्योहारों को प्राचीन भारतीय स्वरुप देने का।सौहार्द ,प्रेम मैत्री श्रद्धा विश्वास सेवा सहयोग जैसे गुण आने वाली पीढ़ी में जाग्रित करें। ।जय हिंद जय भा रत। होली की ढेर सारी शुभ कामनाओं के साथ ।

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