Home जौनपुर मछलीशहर लोकसभा: चौकिये नहीं? गौशाला नहीं औषधालय है साहब!

मछलीशहर लोकसभा: चौकिये नहीं? गौशाला नहीं औषधालय है साहब!

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जौनपुर। हम आपको निरन्तर जौनपुर जिले के मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र के असल मुद्दों और समस्याओं से रुबरु कराते हुए आज जिला मुख्यालय से करीब 26 किलोमीटर दूर गहनी गांव (मधईपुर ग्राम पंचायत) मे बने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की बदतर हालात से रूबरू करना चाहते है।

एक तरफ सरकार लोगों के स्वास्थ्य के लिये आये दिन नई-नई योजनाएं शुरू कर रही है तो दूसरी तरफ विभाग के अधिकारी ही शासन की योजना पर पलीता लगा रहे हैं। इसका उदाहरण मड़ियाहूं ब्लाक के गहनी गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। जो खुद बीमार चल रहा है। यहां के दर्जनों गांवों के मरीज इलाज के लिए परेशान हैं। उप स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात डॉक्टर, फार्मासिस्ट, वार्डब्वाय, सभी लोग केन्द्र पर से कई दिनों तक गायब रहते है।

पहले तो इलाज के लिये आने वाले मरीज रोज आते थे,पर इसकी तरफ धिरे धिरे उनका भी रूख मोड़ लिया। जिसपर शायद आज तक ना ही जिला मुख्यालय में बैठे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नजर पड़ी और ना ही क्षेत्र के विधायक और सासंदों की। वर्ष 2003 मे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वीकृत यह समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का कार्य शुरू हुआ था, और 2005 तक पूर्ण रूप से इसका कार्याकाल शुरू हो गया। अब ये स्वास्थ्य उपकेंद्र अपनी ही बदहाली को लेकर चर्चा में है। ग्रामीणों की मानें तो यह सिर्फ नाम का अस्पताल है। यहां कोई बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किये हैं। लेकिन इस स्वास्थ्य केंद्र का लाभ आमलोगों को नहीं मिल रहा है। इस स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूता कक्ष जो भेड़,बकरियों का विश्रामालय बना हुआ है, खिड़कियों मे जो लोहे की जाली लगी थी वो जंग खाकर समाप्त हो गई और बचे खूचे पार्ट क्षेत्र के बच्चों ने कबाड़ी को बेच बर्फ के गोले खा गये ,पर्दे जो लगे थे वो बगल के तालाब मे ग्रामीणो द्वारा भैंसों को नहलाने के बाद उन्हें पोछने के काम मे इस्तेमाल हो गये। शौचालयों का जीर्णोद्घार ऐसा हुआ है कि आपकी आँखें चौधिया न जाये,हमारे कहने का मतलब है आपको कही नजर ही नहीं आयेंगे। बची खूची मशीने इन्हें देख आप तुरंत समझ जायेंगे कि ये वर्षो से इनका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ। सब छोड़ दें तो करोड़ों की लागत मे बनी यह स्वास्थ्य केंद्र मात्र अब एक खण्डहर बन कर रह गई हैं। यहा तैनात कर्मचारी, डाक्टर घर बैठे भत्ता ले रहे है और अपना प्राइवेट नर्सिंग होम खोल बैठे हैं।

दिवाले बोल उठेगी!

यह सुनते ही एक प्रतिष्ठित कम्पनी के प्रचार आपके जेहन मे आ जायेगा, परन्तु अगर आप इस स्वास्थ्य केन्द्र पर आयेंगे तो इसे दूर से देख आप भी यही कहेंगे। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की दिवाले टूट चुकी है,इन दिवालो पर नजर जाते ही आभास हो जाता है कि अब ये गिरा! स्वास्थ्य केंद्र की फर्श तो अर्श छु कर मुक्तिधाम पहुंच गई हैं। एकड़ो मे बने यह स्वास्थ्य केन्द्र देख आपका भी अपने जनप्रतिनिधियों और सरकारी तंत्रों से मोह टूट जायेगा। अब देखते हैं कि कब जनप्रतिनिधियों, स्वास्थ्य अधिकारियों, की नजर इसपर पड़ती है ? करोड़ों की लागत से बनी इस स्वास्थ्य केंद्र का कब जीर्णोद्धार होता है?

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