जौनपुर: शहर से तीस किलोमीटर दूरी पर बसा यह शहर क्षेत्रीय लोगों का व्यापार, बजार का अच्छा स्थान माना जाता रहा है। इस क्षेत्र में अधिकतर किसानों की आबादी है, जो अपने खेत खलिहान मे सदैव व्यस्त रहता है। क्षेत्र के युवा पीढ़ी के लोगों को ज्यादातर अन्य प्रदेशों मे रोजगार के लिए जाना पड़ता है। मछलीशहर सुरक्षित सीट की जनता परिवर्तन पसंद रही है। 1996 से यहां की जनता ने किसी को दोबारा संसद में नहीं भेजा। इसके कारण दोबारा संसद में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया। यहां से केवल नागेश्वर द्विवेदी और शिवशरण वर्मा ही लगातार दूसरी बार सांसद रहे। आंकड़ों पर गौर करें तो 1967 और 1971 में कांग्रेस के नागेश्वर द्विवेदी, वर्ष 1989 और 1991 में जनता दल के शिवशरण वर्मा विजेता रहे। उसके बाद से यहां का समीकरण बदल गया। जनता ने किसी को दोहराया नहीं। शायद इसलिए यह क्षेत्र सदैव विकास की बाट जोहता है, और ना ही जनप्रतिनिधियों ने असल मुद्दों पर ध्यान दिया।
लोकसभा क्षेत्र मे सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र ‘सीडा’ की हालत खराब
1988 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने जब सतहरिया में उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (यूपीएसआईडीसी ) की स्थापना की थी तो उद्यमियों के अलावा जिले के तमाम बेरोजगारों में भी विकास की नई उम्मीदजगी थी। देखते ही देखते कई फैक्ट्रियां स्थापित हो गईं और जिले के एक मात्र औद्योगिक क्षेत्र के विकास की गति भी तेजी पकड़ती गई। 1996 में सीडा ( सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण) की स्थापना कर दी गई। क्षेत्र मे रह रहे नवयुवकों, बेरोजगारों को सपनें पर 2005 के आस-पास से सीडा के विकास पर ग्रहण लग गया। फैक्ट्रियां बंद होने लगीं, नए उद्यमी इधर का रुख करना छोड़ दिया। आज हालात ऐसे बन आए कि सीडा की तकरीबन 300 फैक्ट्रियों में ताला लग गया। पिछले 13 साल से एक भी प्लाट का आवंटन नहीं हुआ। 198 फैक्ट्रियां यहां आज भी चालू हालत में जरूर हैं पर वे भी उपेक्षा का दंश झेल रही हैं। उद्यमियों की मानें तो सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।
सरकार या क्षेत्रीय सासंद विधायक ने कभी डूबते सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया।सड़कें खराब हैं। पानी निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है। उद्यमियों को बैंकों से मदद नहीं मिल पा रही है। 2017 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र का ब्यौरा लिया था जिसमे सतहरिया भी सामिल था। सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के नियमित अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सातवां वेतनमान लागू करने का फैसला किया गया फिर भी हाला जस का तस है। अगर सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान यहां के सासंद विधायक कभी देते तो क्षेत्र के बहुत युवाओं को पलायन न करना पड़ता।