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विकास के लिए तरस रहे है जोखूपुर निवासी, प्रशासन को नही है खबर।

हमार पूर्वांचल
ग्रामीण

भदोही। सरकार भले ही विकास के तमाम दावे करे लेकिन यह दावें कही न कही केवल हवा साबित होते है। इसकी वजह यह है लापरवाही व भ्रष्टाचार। प्रशासन में बैठे लोग केवल कागजी खानापुर्ति करने में मशगूल होने के वजह से जमीनी हकीकत से रूबरू नही होते। यदि किसी तरह जानकारी होती भी है तो मातहतों को सौप देते है वह कार्य और मातहत वही रिपोर्ट लगाता है जो ग्राम प्रधान के हिसाब से सही होता है। केवल सरकार की योजनाओं को अपने अपने खास लोगो को लाभ देना प्राथमिकता में शामिल है, अन्य लोगो से क्या लेना-देना? उन्हें मालूम है कि लोग शिकायत तो जिला पर ही करेंगे जहां के अधिकारी व कर्मचारी से परिचय होने से कुछ खास नही होगा। और केवल शिकायतकर्ता का नाम विरोधी के रूप में खुल जायेगा।

भदोही जिले के औराई ब्लाक का एक ग्रामसभा औरंगाबाद है। जिसमें जोखूपुर गांव है। वहां के लोग आज भी शौचालय, आवास, सोलर लाइट, स्ट्रीट लाइट, नाली, पेंशन इत्यादि सुविधाओं से दो चार हो रहे है। लोगों ने बताया कि अधिकारियों से भी हम लोगों ने विकास की मांग की लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई। गांव के लोगो ने बताया कि ग्राम प्रधान से जब कहा जाता है तो कहते है होगा लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद कोई विकास न हुआ।

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हरदेव यादव

वृद्ध हरदेव यादव को आज तक पेंशन नसीब नही हुई। हरदेव ने बताया कि कई बार प्रधानों से कहा लेकिन पेंशन न बना। विधवा जलेबा देवी को भी पेंशन नही मिलता है और वे भी सरकार की तमाम योजनाओं से वंचित है।

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नागेन्द्र यादव का परिवार।
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खुला कुआ

यदि गांव के नागेन्द्र यादव की बात की जाए तो उनका परिवार एक झोपडी में रहने पर मजबूर है और नागेन्द्र यादव के घर के सामने खुला कुंआ है जो हमेशा किसी घटना को दावत दे रहा है। गांव की बहू बेटियों को शौच जाने के लिए आज भी खुले मे जाना पडता है। जिला तो ओडीएफ घोषित हो गया लेकिन जोखूपुर लोग आज भी खुले में शौच जाने पर विवश है। जो सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को मुंह चिढाने में काफी है।

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ग्राम प्रधान, राकेश सरोज

ग्राम प्रधान राकेश सरोज ने कहा कि 2011 की सूची के हिसाब से काम हो रहा है इसी के वजह से जोखूपुर गांव में विकास कम हो पाया है। और बचे कार्यकाल में जोखूपुर का भी विकास होगा। ग्राम प्रधान ने कहा कि सूची ब्लाक से बनती है तो मै क्या करूं? ग्राम प्रधान को अपने गांव के बारे में कम बल्कि उनके मित्रों को गांव के विकास के बारे में ज्यादा जानकारी है। क्योकि ग्राम प्रधान से पूछने पर उनके खास लोग ही तपाक से जबाब देते है। लगता है कि जैसे प्रधानी का सही फायदा वही लोग पाते हो और ग्राम प्रधान केवल नाममात्र के है।

वैसे कुछ भी हो प्रशासन के लापरवाही से यह जोखूपुर का ही मामला नही है बल्कि जिले के कई गांव है जो मिलीभगत, लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ कर सरकार की योजनाओं का भंटाधार कर रहे है। और केवल कागजी खानापुर्ति सरकारी धन का दुरूपयोग कर रहे है। सरकार कुछ भी कर ले जब तक जमीनी स्तर पर काम नही होगा देश की बदतर दशा में सुधार होना संभव नही है।

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