हिंदी साहित्य डॉट कॉम (हिंदी साहित्य सेवा मंच) द्वारा हिंदी दिवस (१४ सितंबर २०२०) के उपलक्ष्य में आयोजित की गयी प्रतियोगिता में रचनाकारों/साहित्यकारों ने बढ़चढ़कर भाग लिया| रचनाओं (कविता/ग़ज़ल/गीत) का आमंत्रण १ जुलाई से ३१ अगस्त के बीच हुआ जिसमे ४५६ प्रतिभागियों ने अपनी रचनाएँ मेल द्वारा हिंदी साहित्य सेवा डॉट कॉम पर भेजीं। इस काव्य प्रतियोगिता में हिंदी साहित्य सेवा डॉट कॉम (मंच) द्वारा रचनाकारों से कोई भी शुल्क नहीं लिया गया था।
इस प्रतियोगिता के लिए प्रथम पुरस्कार-₹२१०० एवं प्रशस्ति पत्र, द्वितीय पुरस्कार-₹११०० एवं प्रशस्ति पत्र, तृतीय पुरस्कार-₹५५१ एवं प्रशस्ति पत्र, चतुर्थ पुरस्कार-₹२५१ एवं प्रशस्ति पत्र, पंचम पुरस्कार-₹१५१ एवं प्रशस्ति पत्र घोषित था तथा पहले पचास स्थान पर आए रचनाकारों को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित करने की घोषणा हिंदी साहित्य सेवा डॉट कॉम द्वारा की गयी थी।
पहले पाँच स्थान पर रचनाकारों के नाम और पुरस्कार निम्नलिखित है –
(१) डॉ. शोभा श्रीवास्तव, राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ (प्रथम पुरस्कार – ₹२१००, एवं प्रशस्ति पत्र)
(२) शिव प्रताप सिंह “सूर्य”, फतेहपुर, उत्तरप्रदेश (द्वितीय पुरस्कार – ₹११००, एवं प्रशस्ति पत्र)
(३) शैलेन्द्र ‘असीम’, कुशीनगर, उत्तरप्रदेश (तृतीय पुरस्कार – ₹५५१, एवं प्रशस्ति पत्र)
(४) ब्रह्म स्वरूप मिश्र “ब्रह्म”, शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश (चतुर्थ पुरस्कार – ₹२५१, एवं प्रशस्ति पत्र)
(५) मंजू गुप्ता, नवीमुंबई, महाराष्ट्र (पंचम पुरस्कार – ₹१५१, एवं प्रशस्ति पत्र)
हिंदी दिवस १४ सितंबर २०२० को हिंदी साहित्य सेवा डॉट कॉम (हिंदी साहित्य सेवा मंच) द्वारा इस प्रतियोगिता में पहले पांच स्थानों पर आए रचनाकारों के लिए एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसका संचालन हिंदी साहित्य सेवा डॉट कॉम के संचालक कवि/गीतकार बीरेन्द्र कुमार यादव जी ने किया एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शिव प्रताप सिंह ‘सूर्य’ जी ने की। सचांलक बीरेन्द्र कुमार यादव जी द्वारा साहित्यकारों के परिचय के बाद कार्यक्रम की शुरुवात रचनाकार डॉ. मंजू गुप्ता जी ने प्रज्वलित करके की फिर उन्होंने सरस्वती वंदना की।
सभी साहित्यकारों ने प्रतियोगिता में भेजी अपनी एक रचना पढ़ी और उसके अलावा मुक्तक, छंदो और ग़ज़लों से कार्यक्रम को शानदार बना दिया। शाहजहांपुर उत्तरप्रदेश से कवि ब्रह्म स्वरूप मिश्र ‘ब्रह्म’ जी ने गीत “हिमशिखरों से चली नदी एक मृदु जल का अभिमान लिए” सुनाकर सभी का मन मोह लिया इस रचना द्वारा उन्होंने नदी को वर्तमान पीढ़ी को एक संदेश देने के लिए चुना और बताने का प्रयास किया कि आजादी के नाम पर लोग क्या खो देते हैं।
कुशीनगर उत्तरप्रदेश के शैलेन्द्र असीम जी ने अपनी मधुर आवाज़ में ग़ज़ल “बादल चन्दा तितली फूल समीर नहीं, तुमसे सुन्दर दुनिया की तस्वीर नहीं” सुनाई जिसे सुनकर सभी साहित्यप्रेमियों ने जो ऑनलाइन जुड़े थे उन्होंने भरपूर कमेंट दिए। नवी मुंबई महाराष्ट्र से उपस्थित साहित्यकार डॉ. मंजू गुप्ता जी ने अपनी ग़ज़ल “खुदा के नूर – सी रोशन हमेशा घर सजाये माँ, मकानों को मुहब्बत से हमेशा घर बनाये माँ” सुनाकर माँ की महिमा को बताया। नेटवर्क की समस्या की वजह से दो साहित्यकारों छत्तीसगढ़ से डॉ. शोभा श्रीवास्तव जी और फतेहपुर उत्तरप्रदेश से श्री शिव प्रताप सिंह “सूर्य” जी का संपर्क टूट गया और साहित्य प्रेमियों को उनके काव्यपाठ का आनंद नहीं मिल पाया| शैलेन्द्र असीम जी के आमंत्रण पर कार्यक्रम के संचालक गीतकार बीरेन्द्र कुमार यादव जी ने अपना गीत “आईना दिखा रहा हमे, कौन सी उसे सज़ा मिले” सुनाया जिसे सुनकर कमेंट्स के माध्यम से सभी साहित्यप्रेमियों ने उन्हें भरपूर प्यार दिया। अंत में बीरेन्द्र जी ने सभी साहित्यकारों और जुड़े साहित्यप्रेमियों का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम समापन की घोषणा की।