मुंबई
राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ के तत्वावधान में मंगलवार 22 दिसंबर 2020 को आन-लाइन भिनगा,श्रावस्ती निवासी,वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक,समीक्षक जी•पी• मधुकर द्वारा “संस्कार और संस्कृति” विषय पर सरल, सुगम शब्दों से परिमार्जित भाषा में सभी श्रोताओं के समक्ष व्याख्यान दिया।उन्होंने कहा कि साहित्य को सुदृढ़ बनाये रखने हेतु हम सभी को समाज के बीच परिवर्तन लाना अति आवश्यक है,जिससे हमारी संस्कृति जिन्दा रहेगी।संस्कृति बची रही तो संस्कार बच्चों में डालना आसान होगा। वर्तमान समय में बच्चों को अपनी संस्कृति का ज्ञान कराना अति आवश्यक है तथा संस्कार देना हर माता-पिता का मूल कर्तव्य है।संचालन का भार संस्था पक रामस्वरूप प्रीतम के मुखारविंद से संपन्न हुआ।उक्त साहित्य व्याख्यान का आयोजन राष्ट्रीय नव साहित्य कुंभ” के संस्थापक रामस्वरूप प्रीतम (श्रावस्ती), अध्यक्ष अनिल कुमार राही (मुंबई),संयोजक संजय द्विवेदी (कल्याण- महाराष्ट्र), सचिव धीरेन्द्र वर्मा धीर(लखीमपुर खीरी), संरक्षक दिवाकर चंद्र त्रिपाठी “रसिक” (छत्तीसगढ़) एवं मीडिया प्रभारी विनय शर्मा “दीप” (ठाणे-महाराष्ट्र),उपाध्यक्ष सत्यदेव विजय (मुंबई),उप-सचिव बबिता पांडे,कोषाध्यक्ष प्रमिला किरण के सहयोग से संपन्न हुआ।व्याख्यान उपरांत उपस्थित साहित्यकार मधुकर का सम्मान संस्था द्वारा सम्मान-पत्र देकर किया गया।