भदोही जिले का वेदपुर गांव इस समय पुरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा का प्रमुख कारण यह है कि बीते गुरूवार को महाराष्ट्र में दो साधू समेत तीन लोगो की भीड ने पीट पीटकर हत्या कर दी थी। जिसमें से एक साधू कल्पवृक्ष गिरी भदोही के बताये जा रहे है। और उनके पैतृक गांव में लोग उनसे जुडी जानकारी के लिए पत्रकार जा भी रहे है और कल्पवृक्ष गिरी उर्फ कृष्णचन्द तिवारी के बारे में उनके परिजनों से बात कर रहे है लेकिन कृष्णचन्द तिवारी के भाई लालचन्द और राकेश तिवारी के बयान में अलग अलग बात आ रही है। जिससे शक के बादल भी गहरे हो गए हैं ॥
जो एक आशंका पैदा कर रही है कि इन दोनों में कौन भाई सही बोल रहा है? और कौन झूठ या दोनों तो झूठ नही बोल रहे है? कल्पवृक्ष के एक भाई लालचन्द तिवारी ने अपने बयान में कहा कि कृष्णचन्द अपने दादी के साथ प्रयागराज मेला गये थे । वही बहक कर कही गुम हो गये। जबकि दूसरे भाई राकेश तिवारी ने बताया कि कृष्णचन्द भुसौला विद्यालय से भाग गये या किसी साधू ने बहकाकर ले गया। अब यहां सवाल बनता है कि इन दोनों भाईयों में से तो एक झूठ बोल रहा है या हो सकता है दोनों भाई ही झूठ बोल रहे हो। और इस खबर को मीडिया ने पुरे देश में फैला दिया कि भदोही के ही थे कल्पवृक्ष गिरी। हालांकि इस परिवार में उनको लेकर अलग अलग मत क्यों जबकि दोनों ही व्यक्ति कल्पवृक्ष गिरी के सगे भाई होने का दावा कर रहे है। कही इसमें कोई खेल तो नही? आखिर सगे भाइयों को ही नही है सही जानकारी। एक साथ रहने के बाद भी भाइयों के विचारों में बडा है मतभेद।
आखिर कल्पवृक्ष के भाइयों में कौन बोल रहा है सही और कौन दे रहा है झूठी जानकारी या मीडिया में जगह पाने के लिए दोनो ही बना रहे है मनगढंत कहानी? वेसै कुछ भी हो कल्पवृक्ष गिरी के इन तथाकथित भाइयों के द्वारा दी गई जानकारी कल्पवृक्ष गिरी का भदोही जिले के वेदपुर गांव का मूल निवासी होने पर शक पैदा कर रहा है। या इन दोनों में से एक भाई झूठी जानकारी देकर प्रसिद्ध होना चाहता है। या यह भी हो सकता कि उनके गायब हुए कई वर्ष बीत चुके हैं इसलिए भाईयो ने जो सुना था वही अपने अपने तरीके से बता रहे हो ।