Home साहित्य विधा- कजरी—भारत की सच्ची आजादी।

विधा- कजरी—भारत की सच्ची आजादी।

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(भारत की सच्ची आजादी नागपंचमी के पावन पर्व पर, स्वतंत्रता दिवस के आगमन पूर्व भारतवासी खुशहाल होकर इजहार करते हैं।)

अब त फहरी तिरंगा,सब प्रदेश में,
भारत देश में ना ।।

बदली नेहरू की धारा,
सोचे पाक विचारा-2
चारा चले नाहीं,विधना बा तेश में।
भारत देश में ना ।।

धारा तीन सौ सत्तर,
छप्पन इंच भै बहत्तर-2
तर गइलैं कश्मीरी, हिन्द वेश में ।
भारत देश में ना ।।

पैंतीस-अ भइलै गायब,
सीना चीर गइलैं साहब-2
श्यामा प्रसाद भइलैं,खुश स्वर्ग देश में।
भारत देश में ना ।।

आतंकवादी भइलैं पस्त,
देशवासी भइलैं मस्त-2
गस्त धइले बा,डसेन नागवेश में।
भारत देश में ना ।।

नागपंचमी क दिन,
सोमवार गीन-गीन -2
तीन चौकीदार दीप,हऊवैं रेश में ।
भारत देश में ना ।।

अब त फहरी तिरंगा,सब प्रदेश में,
भारत देश में ना ।।

विनय शर्मा “दीप”

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