जॉर्ज फर्नांडीज नहीं रहे। अपने समय के एक जुझारू नेता। 1996 से जब गठबंधन सरकारों का दौर चला तब जॉर्ज फर्नांडीज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक के तौर पर बहुत तेजी से सत्ता का ध्रुव केंद्र बन गए थे। उनके निधन के बाद उन्हें सबसे ज्यादा अगर कोई याद कर रहा होगा तो वे हैं लालकृष्ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव और सोनिया गाँधी।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग की दूसरी सरकार 19 मार्च 1998 को बनी और तेरह महीने बाद एक नाटकीय घटनाक्रम में एक वोट से गिर गई। मजा यह है कि 17 अप्रैल 1998 को एक चाय पार्टी हुयी और अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे. जयललिता ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। फिर भी सरकार आश्वस्त थी कि सदन में बहुमत सिद्ध कर देगी क्योंकि मायावती ने सदन से बाहर रहने का निर्णय लिया था। माना जा रहा था कि सरकार के पास पूर्ण समर्थन है। ऐन वक्त पर बसपा सुप्रीमो ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मत देने का फैसला लिया। एकदम रस्साकशी की स्थिति थी। तभी उड़ीसा के मुख्यमंत्री गिरधर गोमांग के एक वोट से अटल सरकार अल्पमत में आ गई। यद्यपि गोमांग उड़ीसा के मुख्यमंत्री थे फिर भी उन्होंने लोकसभा से इस्तीफ़ा नहीं दिया था।
मजा यह है कि आज गोमांग भाजपा में हैं और चाय पार्टी में जयललिता को सोनिया के करीब लाने वाले सुब्रमन्यम स्वामी भी। सरकार गिरते ही सोनिया गाँधी सक्रिय हुयीं और सरकार बनाने का दावा करने तात्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के पास पहुँचीं। कांगेस और उसके भाजपा विरोधी अन्य दल एक हो गये थे जिनमें समाजवादी पार्टी भी शामिल थी। सरकार चाहती थी कांग्रेस के नेतृत्व में दूसरे गठबंधन की सरकार न बने और मध्यावधि चुनाव उसकी ही सरपरस्ती में हों। यही वह समय था जब फर्नांडीज ने अपनी सूझ-बूझ तथा पुराने समाजवादी संबंधों का उपयोग किया और पूर्णत: आश्वस्त होने के बाद आडवाणीजी को फोन लगा दिया और कहा कि कांग्रेस नीत सरकार नहीं बन रही है।
आडवाणीजी ने इस बात का जिक्र अपनी पुस्तक माई कंट्री माई लाइफ में किया है। जॉर्ज ने आडवाणीजी से कहा कि विपक्षी खेमे का एक बड़ा नेता आपसे मिलना चाहता है लेकिन यह मुलाकात मेरे आवास पर न होकर जया जेटली के घर पर होगी। सुरक्षा दस्ते के ताम झाम से बचने के लिए आडवाणीजी जया जेटली के साथ उनकी कार से जया जेटली के घर पहुंचे तो चौंक गए। जॉर्ज के साथ समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव बैठे थे। बकौल आडवाणीजी कांग्रेस के धुर विरोधी जॉर्ज ने मुझसे कहा-‘ लालजी, मेरे दोस्त का ये पक्का वादा है कि उनकी पार्टी के 20 सांसद किसी भी हालत में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने में सहयोग नहीं देंगे। मैं इन्हें अपने साथ लाया हूं ताकि आपको इस बात पर पूरा भरोसा हो सके।’
आडवाणी ने आगे लिखा है कि उनके सामने भी मुलायम सिंह यादव ने सोनिया गांधी को समर्थन नहीं देने का अपना वादा फिर से दोहराया। लेकिन यह भी कहा- ‘आडवाणी जी मेरी एक शर्त है। इससे पहले मैं घोषणा करूं कि सरकार बनाने में हम सोनिया के साथ नहीं हैं, मैं आपसे एक वादा चाहता हूं कि उस हालत में एनडीए फिर से सरकार बनाने की कोई कोशिश नहीं करेगा। कोई दावा पेश नहीं करेगा। मुलायम सिंह यादव ने अपना वादा निभाया और सोनिया के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस का साथ न देने की घोषणा कर दी। इसके बाद का घटनाक्रम सभी जानते हैं।
सियासी तीरंदाजी
लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में हर तरफ चुनावी समर जीतने की हर संभव कोशिश में योद्धा कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता। तीन प्रान्तों में जीत से उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक रैली में घोषणा कर दी कि यदि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी चुनाव जीती तो देश के नागरिक को न्यूनतम आय की गारंटी देगी। हालिया विधानसभा चुनावों में कॉग्रेस ने किसानो के कर्जमाफी के वायदे को अमलीजामा पहना कर अपने प्रति विश्वास को मजबूत कर लिया है। यह बात अलग है कि चुनावों बाद तमाम नई बंदिशों और नियमों के बाद कर्जमाफ किया गया है। इस पर भाजपा ने कॉग्रेस सरकार को घेरा लेकिन फिर भी कॉग्रेस अपना संदेश दूसरे प्रदेशों के मतदाताओं तक पहुँचाने में सफल हो गयी है। न्यूनतम आय का जो तीर राहुल गॉंधी ने चलाया है यह कभी भाजपा के तरकश में था। लेकिन इसे प्रयोग राहुल ने कर लिया है। नतीजा भी सामने है। राहुल की घोषणा के बाद सरकार ने अंतरिम बजट में हर वर्ग को उपहार दिए हैं। किसानों को तत्काल प्रभाव से नकद सहायता इसी का नतीजा है। अब यह समय तय करेगा कि किसका तीर कितना प्रभावी होगा।
सूरत शो और सवाल
बीते बुधवार को सूरत के एक बड़े इनडोर स्टेडियम में न्यू इंडिया यूथ इंडिया कॉन्क्लेव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवाओं से मुखातिब हुये। ठीक अमेरिका के मेडिसन स्क्वेयर जैसी झांकी थी। रिवोल्विंग स्टेज पर आसीन प्रधानमंत्री चतुर्दिक संभाषण कर रहे थे। देश में अपने शासनकाल में हुए बदलावों पर अति उत्साह की रौ में ऐसे बहे कि बलात्कार जैसे मुद्दे पर बोलते हुए दावा किया कि पहले बलात्कार होते थे तो बलात्कारी सजा से बच जाते थे या उन्हें बहुत विलम्ब से सजा मिलती थी। वे बोले कि अब बलात्कारी को एक, दो या तीन दिन में फांसी की सजा दे दी जाती है। प्रधानमंत्री का दावा कितना सही है यह वे ही अच्छी तरह से जानते होंगे। लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ सवाल उछले हैं कि प्रधानमंत्री एक भी बलात्कारी का नाम बतायें जिसे उनके शासनकाल में फांसी की सजा दी गई हो। निर्भया का बलात्कारी, आसिफा का बलात्कारी, यहां तक कि उन्नाव में बच्ची संग बलात्कार के आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर अभी तक जिंदा हैं। अब अपन ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं समझते।
गोद लिया गाँव अनाथ
महाराष्ट्र की महिला व बाल विकास राज्यमंत्री विद्या ठाकुर का गोद लिया गांव विकास के लिए तरस रहा है। दो साल हो गए पालघर पूर्व स्थित नांदगांव मनोर गाँव को बड़े ही गाजे बाजे के साथ गोद लेने की रस्म विद्या ठाकुर ने 9 नवंबर 2016 को पूरी की थी। उस समय मंत्री महोदया ने घोषणा की थी कि आज से इस गाँव के विकास की जिम्मेदारी मेरी होगी। उसके बाद गाँव का क्या हुआ खुद मंत्री महोदया को नहीं मालूम क्योंकि वे तबसे नांदगांव नहीं गईं। सरपंच पवन सावरा से मंत्री महोदया से मिलकर नांदगांव नाके पर पुल बनाने की जरुरत के साथ-साथ अन्य समस्याएं बताई लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। सोचा जा सकता है ग्राम विकास की स्थिति क्या है।
पुछल्ला
कुंभ में दो अलग-अलग धर्म संसद जुटीं। प्रश्न यह है कि राम जन्म भूमि मंदिर कब और कौन बनाएगा।