Home भदोही ईश्वर जिसे दुख देता है चमड़ी भी उधेड़ लेता है-घर तो गिरा...

ईश्वर जिसे दुख देता है चमड़ी भी उधेड़ लेता है-घर तो गिरा ही था तंबू में भी लगी आग

612
0

रिपोर्ट : गोपीचंद तिवारी

मोढ(भदोही) स्थानीय क्षेत्र के बसपरा निवासी जिलाजीत उपाध्याय का मकान 7 फरवरी 2019 को माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार तत्कालीन उपजिलाधिकारी व तहसीलदार भदोही की देखरेख में जेसीबी मशीन लगाकर धराशाही कर दिया गया था जिससे उनके परिवार के लिए रहने का कोई ठिकाना नहीं रह गया था। खाने के लिए भी परिवार को किल्लत झेलनी पड़ रही है मकान धराशाही होने के बाद तत्कालीन उपजिलाधिकारी तथा तहसीलदार भदोही द्वारा जिलाजीत को आवास हेतु जमीन मुहैया कराने तथा तत्काल रहने के लिए व्यवस्था करने हेतु आश्वासन दिया गया था परंतु आज तक ना तो जमीन मुहैया कराई जा सकी और ना ही रहने की कोई व्यवस्था की जा सकी।

उक्त जिलाजीत का परिवार कड़कड़ाती धूप में तंबू लगाकर छोटे-छोटे बच्चे सहित गुजर कर रहे हैं भिखारी जैसी स्थिति बन चुकी है,गिरे हुए मकान के बगल में कई तंबू लगाकर सामान रखकर उसी में खाना-पीना रहना आदि की व्यवस्था किए हुए थे। संयोग से गांव के बगल में ही एक बारात में आर्केस्ट्रा नाच हो रही थी काफी लोग उसे देखने चले गए थे भोर 4:00 बजे जिलाजीत के बड़े पुत्र सुरेंद्र कुमार उपाध्याय अपनी पत्नी शिव देवी व चार लड़कों के साथ एक तंबू में सोए हुए थे की अचानक आग लग गई उस तंबू में कुछ सामान गृहस्थी का रखे हुए थे, उसी में भूसा भी रखे थे तंबू में अचानक आग लगने की घटना को देख कर लोग दौड़ पड़े और आग पर ग्रामीणों द्वारा काबू पाया गया तथा सोते हुए बच्चों को बाहर निकाला गया परंतु भूसे में भी आग लग गई भूसा भी सुलगने लगा। आग लगने का कारण ग्रामीणों द्वारा बिजली का तार टूटने से होना बताया गया।

वही शिवदेवी का कहना है कि मेरी डिलीवरी नजदीक है इसके लिए 5000 रुपया किसी तरह इकट्ठा करके कपड़े में बांधकर भूसे में रखी थी वह भी आग के हवाले हो गया, जहां एक तरफ रहने खाने का ठिकाना नहीं था वहीं पर तंबू में रहना भी दूभर हो गया ये कैसी प्रकृति की मार है?

Leave a Reply