जिले के सबसे चर्चित कोतवाली को संभालने की जिम्मेदारी एक ऐसे इंस्पेक्टर को सौंप दी गयी है जो भदोही कोतवाली में फेल हो चुके हैं। जीं हां! इंस्पेक्टर नवीन तिवारी अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्र में घटी एक भी चर्चित घटना का खुलासा नहीं कर पाये थे, इसके बावजूद भी गोपीगंज जैसी कोतवाली का चार्ज दिया जाना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर भदोही जिले के पुलिस अधिकारियों को श्री तिवारी के अंदर ऐसी कोन सी खासियत दिखायी दी जिससे उन्हें विवादित कोतवाली का जिम्मा सौंप दिया गया।
गोपीगंज कोतवाली क्यों है खास
देखा जाय तो भदोही जिले के हाईवे पर स्थित तीनों थानों में चार्ज पाने के लिये इंस्पेक्टर लालायित रहते हैं। लेकिन औराई, गोपीगंज और उंज थाना में अक्सर गोपीगंज कोतवाली विवादों के घेरे में आती रही है। हाईवे पर पशु तस्करी का मामला हो या राजनीतिक दबंगों का वर्चस्व, किसी न किसी मामले को लेकर गोपीगंज पुलिस चर्चा में बनी रहती है। जिले की सबसे बड़ी व्यवसायिक मंडी होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी पुलिस को चौकन्ना रहना पड़ता है।
बीते वर्ष 2018 में गोपीगंज कोतवाली काफी चर्चा में आयी। जमीन संबंधी विवाद को लेकर अपने भाई के साथ कोतवाली पहुंचे रामजी मिश्रा की मौत हवालात में हो गयी थी। इस दौरान पुलिस पर मृतक को पीटने का आरोप भी लगा था। इस मामले को लेकर मृतक के परिजन सड़क पर उतरे। राजनीतिक पांसे भी चले गये लिहाजा तत्कालीन कोतवाल सुनील वर्मा को निलम्बित करने के साथ मुकदमा भी दर्ज किया गया।
ऐसी विषम परिस्थिति में शेषधर पाण्डेय को गोपीगंज कोतवाली का चार्ज दिया गया। श्री पाण्डेय ने अपनी कार्य कुशलता से काफी दिनों तक आम पब्लिक में अपनी छवि को बरकरार रखा ओर कोतवाली क्षेत्र में शान्ति व्यवस्था बनाये रखी। हालांकि कई मामलों को लेकर राजनीतिक दबाव भी पड़े, लेकिन अपनी सूझबूझ से विवादों को दूर रखने में कामयाब रहे।
इसी बीच असलहा लायसेंस को लेकर आवेदन शुरू हो गया। जिसमें रिपोर्ट लगाने के लिये उनपर दबाव भी पड़ने शुरू हो गये। लोगों में चर्चा होने लगी कि कुछ अपराधिक प्रवृत्ति तथा अपराधिक मामले में शामिल लोगों ने भी असलहा लायसेंस के लिये आवेदन किया, लेकिन श्री पाण्डेय उसपर अपनी रिपोर्ट नहीं लगाना चाहते थे। लिहाजा उनके उपर काफी दबाव पड़ने शुरू हो गये, जिसके कारण दो दिन के अवकाश को लेकर घर गये श्री पाण्डेय ने गैर हाजिर रहना ही उचित समझा। फिलहाल नये फेरबदल में श्री पाण्डेय को अपराध शाखा में भेज दिया गया है।
शेषधर पाण्डेय की गैर हाजिरी के दौरान अनिल यादव को कोतवाली का प्रभार दिया गया किन्तु एक महिला के उपर दबंगों द्वारा किये गये अत्याचार के मामले में लीपापोती करने के आरोप में उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया। तत्पश्चात भदोही कोतवाल रहे नवीन तिवारी को गोपीगंज कोतवाल बनाया गया।
भदोही में कैसा रहा नवीन तिवारी का कार्यकाल
जिले में यदि शीर्ष तीन थानों की चर्चा की जाये तो औराई, गोपीगंज और भदोही आता है। भदोही किसी भी अधिकारी के लिये खास इसलिये भी होता है कि यह नगर कालीन नगरी व डालर नगरी के नाम से भी जाना जाता है। प्रशासन की दृष्टिकोण में यह नगर अति संवेदनशील की श्रेणी में भी आता हैं। हांलाकि भदोही का चार्ज लेने के बाद दुर्गापूजा, दीवाली, ईद आदि त्योहारों को शान्तिपूर्वक संपन्न कराया किन्तु जिन मामलों के खुलासों को लेकर उन्हें भदोही कोतवाल बनाया गया था उनमें से किसी मामले का खुलासा नहीं कर पाये।
श्री तिवारी से पहले कोतवाल रहे मनोज पाण्डेय के कार्यकाल के दौरान भदोही में लूट की कुछ घटनाये हुई थी। उस समय नवीन तिवारी क्राइम ब्रान्च में थे। लूट की घटनाओं का खुलासा न कर पाने के कारण उन्हें हटाकर नवीन तिवारी को चार्ज दिया गया। हालांकि अपने कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी पुरानी घटनाओं का खुलाशा करने की बात तो दूर जो घटनायें उनके कार्यकाल में घटी उसका भी खुलासा करने में फेल रहे। करियाव बाजार में गोलीकाण्ड का मामला रहा हो या फिर सियरहां मोढ़ में अराजकतत्वों द्वारा गाय काटने का मामला, हर मामला फाइल में ही दफन रहा। दूसरी तरफ क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन कराने का आरोप भी उनके उपर लगता रहा।
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