आखिर क्यों इस चिकित्सक के निधन पर हजारो की भीड़ लगी।
गोपीगज (भदोही) अखिर जिंदगी की जंग लड़ते-लड़ते डॉक्टर अभय सिंह शनिवार को हार गए दूसरों का इलाज करते करते आखिर एक ऐसा वक्त आया कि जिंदगी की जंग खुद लड़ते-लड़ते चिकित्सक की डेंगू की चपेट में आने से मौत हो गई। मौत की खबर सुनते ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों तथा उनके चाहने वालों की हजारो की भीड़ जमा हो गई।
बताया जाता है कि गोपीगज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रख्यात चिकित्सक डॉ अभय सिंह जो बीते वर्ष 2015 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक रहे हैं वर्ष 2010 से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत रहे अपनी लोकप्रियता तथा अपने कुशल व्यवहार तथा मरीजों के प्रति समर्पण की भावना के कारण कुछ ही वर्षों में चिकित्सक पूरे जनपद में लोकप्रिय हो गए हैं और प्रतिदिन ओपीडी के समय हजारों की तादात में मरीजों को समुचित चिकित्सा की परामर्श देते थे। लेकिन शायद भगवान को मंजूर न था कि एक अच्छे चिकित्सक और भी मरीजों को स्वास्थ्य लाभ दे सके। बीते दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अचानक डेंगू की चपेट में आने से इनका उपचार वाराणसी सर सुंदर लाल चिकित्सालय में चल रहा था जहां शनिवार को चिकित्सक जिंदगी की आखिरी जंग हार गए। इनके निधन की खबर सुनते ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चाहने वालों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे बताते हैं कि अभय सिंह पुत्र श्याम नारायण सिंह निवासी ग्राम गोहाई थाना नगरा जनपद बलिया के मूल निवासी थे और इनका जन्म 1977 में हुआ था 2010 में इनकी नियुक्ति गोपीगंज अस्पताल में हुई थी।
चिकित्सक की पत्नी गीतूू सिंह का रो रो कर बुरा हाल है। बताया जाता है चिकित्सक दो भाई एक बहन है डॉ अभय को एक पुत्र 5 वर्ष अपूर्व सिंह उर्फ कान्हा और एक पुत्री आराध्या सिंह उम्र 7 वर्ष है। बताया जाता है कि यह निहायत गरीब परिवार से बिलांग करते थे। और इनकी प्रारभिक पढ़ाई खमरिया भदोही में ही हुई है वही पिता भी एक कालीन कंपनी में पूर्व में कार्य करते थे।वही उक्त मामले में भदोही सीएमओ का माने तो अभी डेंगू बीमारी की पुष्टि से इनकार किया गया कहा गया कि बीएचयू से रिपोर्ट मिलने के बाद ही कन्फर्म होगा कि मौत किन कारणों से हुई।
चिकित्सा जगत में परचम लहराने वाले चिकित्सक को आखिरी सलाम।
गोपीगज। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ अभय सिंह के असमायिक निधन पर चिकित्सा जगत में मातम छा गया सरकारी चिकित्सकों के अलावा अन्य चिकित्सकों ने भी अस्पताल परिसर में पहुंचकर शोक श्रद्धांजलि देने से पीछे नहीं हटे सभी चिकित्सकों को यह भरोसा ही नहीं था कि डॉक्टर अभय सिंह जीवन की जंग हार जाएंगे शोक प्रकट करने वालों में मुख्य रूप से डॉ आशुतोष पांडेय, डॉ एस एस यादव, डॉ अजय दुबे, डॉ बृजेश कुमार, डॉ कृपा शंकर मिश्र, डॉ प्रीति मिश्रा, सहित कोतवाल शेषधर पांडेय, चौकी प्रभारी शुशील त्रिपाठी, सपना दुबे,गगन गुप्ता, सभासद डॉ आनंद मोदनवाल, शेरू दुबे,धर्मराज दुबे, धर्मेंद्र द्विवेदी, सुशील विंद, अनिल दुबे, अनंत अग्रवाल, पप्पू सिंह, गुलाब तिवारी, रविन्द्र यादव आदि रहे।
डीएम वाराणसी व डीएम भदोही ने चिकित्सक के निधन पर जताया शोक।
गोपीगंज। बनारस के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह का तो यह हाल रहा मानो वह अपने प्रिय मित्र से बिछड़ कर अकेले पड़ गए हो उनके चेहरे पर साफ सिकन गम का झलक रहा था। वाराणसी के जिलाधिकारी जब गैर जनपद से ट्रांसफर होकर वाराणसी चार्ज लेने जा रहे थे तब भी डॉक्टर अभय सिंह के आवास पर उनसे मिले बगैर बनारस नहीं गए डीएम और चिकित्सक की मित्रता काफी घनिष्ट थी। जिलाधिकारी भदोही रह चुके सुरेंद्र सिंह के मित्रता की चर्चा जनपद में भी छायी रही।लोगो मे चर्चा रहा कि डीएम वाराणसी चिकित्सक के इलाज के दौरान एक भाई की तरह पूरी देखभाल के लिए वहां लगे हुए थे। जिलाधिकारी भदोही राजेंद्र प्रसाद ने भी चिकित्सक के असामयिक निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि जनपद ही नही पूरे चिकित्सा जगत की अपूर्णनीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई होना संभव नहीं है। ऐसे में मुख्य चिकित्साधिकारी भदोही,वाराणसी सहित अन्य अधिकारियों का हुजूम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अंतिम दर्शन के लिए मौजूद रहा।
बन्द हो गई हॉस्पिटल के आस पास की दुकाने।
अपने प्रिय चिकित्सक के निधन की सूचना लगते ही चाहने वाले अपने प्रतिश्ठान को बंद कर चिकित्सक के आवास पर पहुचकर एक दर्शन पा लेने की ललक के साथ भारी भीड़ को पार कर नम आंखों से श्रधांजलि दिए।लोगो मे इस बात की चर्चा रही कि चिकित्सक तो लोगो के प्रिय रहे ही उनकी पत्नी गीतू का भी व्यवहार गजब का था दिन हो या रात आवास पर मरीजो के पहुचने के बाद उनका भी कुशल व्यवहार लोगो के बीच चर्चा में रहा। वही पति के निधन पर रो रो कर बुरा हाल रहा।