भदोही। सरकार की योजनाएं तो बेशक गरीब, असहाय, दिव्यांग और कमजोरों के लिए है लेकिन आज भी कुछ ऐसे पात्र है जिन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। चाहे वह विभागीय लापरवाही हो या आवेदक की कुछ समस्या। वहीं समाज में कुछ ऐसे भी लोग है जो सम्बन्धित विभागों से मिलकर किसी तरह जुगाड लगाकर फर्जी तरह से सरकारी योजना का लाभ लेते है लेकिन किसको पडी है शिकायत करने की।
एक मामला है भदोही जिला के डीघ ब्लाक के सेमराध में एक ऐसा दिव्यांग है जो आज तक 42 वर्ष की उम्र में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित है। यदि अन्य योजनाओं को छोड दिया जाय लेकिन दिव्यांग होने के कारण पेंशन की बात की जाए तो वह भी नही मिल पा रहा है इस दिव्यांग को।
जानकारी के मुताबिक सेमराध निवासी सुरेन्द्र पाण्डेय जो कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है और सेमराध में बेरोजगारी व लाचारी की जिन्दगी जी रहा है। आस-पास के बच्चों को बुलाकर ट्युशन पढाकर अपनी काम चला रहा है। सुरेन्द्र 2001 से कोलकाता से घर पर ही रह रहे है लेकिन 18 वर्ष बीतने के बाद भी सुरेन्द्र को पेंशन नही मिल पा रही है। वजह यह है कि भाई रोजी-रोटी के लिए बाहर रहते है। सुरेन्द्र ने बताया कि पेंशन के लिए आनलाइन आवेदन किया लेकिन आज तक पेंशन नसीब न हुई।
कहा कि पुराने प्रधानों से कहा था लेकिन कुछ न हुआ इसीलिए वर्तमान प्रधान से मैने नही कहा। यहां विचारणीय तथ्य है कि गांव में एक दिव्यांग व्यक्ति है जिसे पेंशन की जरूरत है लेकिन पता नही क्यों प्रधानों ने इस पर ध्यान नही दिया? जबकि चुनाव के समय लोग हर घर के प्रत्येक सदस्यों के बारे में बखूबी जानकारी रखते है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को दिलाना ही जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए।