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23 साल से बेहाल भदोही को लौटा दो काशी वाशी होने का गौरव: जयराम पाण्डेय

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लोकदल के बरिष्ठ नेता तथा ग्राम स्वराज क्रांति आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक जयराम पाण्डेय ने सूबे के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के भदोही जनपद में प्रथम आगमन पर ख़ुशी जाहिर करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 23 साल से भदोही बेहाल है। वर्ष 1994 से लेकर अब तक जितना भी सरकारी धन इस जनपद को विकास के मद में मिला उस धन में घोर भ्रष्टाचाट हुआ है। उन्होंने जनपदकी प्रमुख समस्याओ की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि वर्षो से केएनपीजी कालेज को विश्वविद्यालय बनाने, भदोही जिले को पुनः वाराणसी मंडल में सामिल करने तथा जौनपुर जिले का बरसठी व रामपुर ब्लॉक को भदोही में मिलाने की मांग लोकदल द्वारा की जा रही है जो आज तक पूरा नहीं हो सका।
उन्होंने कहा की भदोही का गाज़िया फ्लाई ओवर निर्माण और भदोही मीरजापुर मार्ग का कार्य आधा अधूरा पड़ा है।सौ सैय्या का चिकित्सालय व बस डिपो निर्माण का कार्य भी पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल से रुक हुआ है। कालीन का काम काम करने वाले कालीन निर्यातकों व व्यापारियो को ई-बे बिल सिस्टम लागु होने से कारोबार प्रभावित हो रहा हैं। साथ ही कालीन के काम में लगे लाखो लोगो की जीविका भी प्रभावीत हो रही है।
जयराम पाण्डेय ने कहा कि मुख्यमंत्री जी जब भदोही जनपद सृजन के 23 वर्ष बीतने के बाद विकास की दौड़ में 100 साल पीछे चल रहा है तो क्यों न इस जनपद को प्रदेश का सबसे पिछड़ा जनपद घोषित किया जाये।
पिछड़ा जनपद घोषित होने पर शासन द्वारा विकास के मद में सबसे ज्यादा धन उपलब्ध होगा और भदोही जनपद का चतुर्दिक विकास संभव होगा।
उन्होंने कहा कि भदोही अनादिकाल से ही काशी का अभिभाज्य अभिन्न अंग रहा है। वर्ष 1994 व 1997 में तत्कालीन सूबे की सरकार अपने निहित राजनैतिक लाभ के लिए पहले भदोही को जिला बनाया फिर 1997 में भदोही को वाराणसी मंडल से अलग करके विंध्याचल मंडल में शामिल करके भदोही की जनता को काशी वाशी होने के अलंकरण का बलतपूर्वक चीर हरण कर के कही का नहीं छोड़ा।

सीएम साहब क्या ? भ्रष्ठ अधिकारियो की पीठ थपथपायेंगे या गाज़ गिराएंगे।

जनपद सृजन के पिछले 23 वर्षो में कई मुख्यमंत्री इस जनपद में आये और भ्रष्ठ अधिकारियो की पीठ थपथपा कर चलते बने।जनपद के चालाक व कागजी खाना पूर्ति करने में माहिर अधिकारियो ने अब तक के मुख्यमंत्रियों को अपने कागजी जाल में इस तरह उलझाया कि सिर्फ कागजी खाना पूर्ति कर के चले गए।
परिणाम स्वरुप भदोही के हालात इन 23 वर्षो में इतना ख़राब हो गया कि भय,भूख,भ्रष्ठाचार,लूट का बोल बाला बन कर रह गया। भदोही के भ्रष्ठ अधिकारियो व राजनैतिक दल के नेताओ के गठजोड़ ने भदोही के विकास के मद में प्राप्त सरकारी धन का इस कदर बन्दर बॉट किया कि भदोही विकास की दौड़ में 100 साल पिछड़ गया।

आयातित जन प्रतिनिधियों का मुफीद चारागाह बना भदोही

पिछले 23 वर्षो से आयातित जनप्रतिनिधियो का सब से मुफीद व सुरक्षित चारागाह के रूप में भदोही की पहचान पुरे देश में फ़ैल कर रह गई है।
आलम यह है कि यहाँ के इतिहास गवाह है कि पश्चिम दिशा में चम्बल से लेकर पूर्व दिशा के सुदूर जनपदों के आयातित जनप्रतिनिधियों का शरणगाह बन कर रह गया है। जिन्हें भदोही व भदोही की आम जनता के दुखो का भान तक नहीं है।

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