भदोही – काशी-प्रयाग मध्य के एक गांव से उठी देवी-देवताओं के धाम हेतु ‘सोलर लाइट’ मांग पर ‘हमार पुर्वांचल’ पड़ताल ने कई बड़े-बड़े नेताओं की भी अधर्मी एवम् स्वार्थी भूमिका को बेनकाब कर दिया है। ऐसे में सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह उठ रहा है कि सार्वजनिक मंदिरों के लिये समर्पित ‘सोलर लाइट’ चंद स्थानीय स्वयंभू नेताओं के द्वार पर कैसे..? इस पड़ताल में भाजपा के कुछ पुर्व विधायक सहित जिला स्तरीय नेता अनौपचारिक रूप से हुई भूल भी स्वीकार रहे हैं लेकिन किसी के पास यह इच्छा शक्ति नजर नहीं आ रही है कि दावा कर सके सार्वजनिक स्थलों नाम पर स्वार्थ के भेंट ‘सोलर लाइट’ की जांच पड़ताल की जायेगी।
गौरतलब है कि काशी-प्रयाग मध्य के कई गांवों में भाजपा सांसद बीरेंद्र सिंह (मस्त) द्वारा शासनिक नियमावली को दरकिनार करके भाजपा पार्टी संगठन के पदाधिकारियों के हाथों सार्वजनिक स्थलों एवम् धार्मिक मंदिरों हेतु ‘सोलर लाइट’ वितरण करवाया गया था। मुख्यतः धार्मिक प्रवृत्ति के सांसदजी शायद चाहते थे कि इस वितरण योजना से गांव-समाज के स्थानीय प्राचीन एवम् पुश्तैनी देवी-देवताओं का धाम जगमगा उठेगा। यदि मंदिर धाम जगमगा उठेगा तो गांव-समाज के लोगों का बिना विवाद भाजपा प्रेम बना रहेगा। काशी-प्रयाग मध्य धार्मिक ध्वजवाहकों की नगरी है लेकिन यहां राजनीतिक अधर्मियों ने ऐसा खेल खेला कि अब शायद ही स्थानीय गांव वाले भाजपा नेताओं पर यकीन करें।
सार्वजनिक स्थलों हेतु था ‘सोलर लाइट’…
‘हमार पूर्वांचल’ पर खबर प्रसारित होने के बाद कलमकार को सैकड़ों काल आये और बड़े स्तर पर हुये अधर्मी कार्य का तथ्य विभिन्न गांव-समाज के धर्मवीरों ने सबूत के साथ मुहैया करवाया है। इस दौरान भदोही सांसद के कई करीबी नेताओं ने अनौपचारिक रूप से आंतरिक स्पष्ट बताया कि ‘सोलर लाइट’ का वितरण उद्देश्य यही था कि सार्वजनिक मंदिरों पर लगवाया जाय। खैर…देवी-देवताओं के नाम पर रजिस्टर्ड ‘सोलर लाइट’ कहां उड़ गया और किस अधर्मी के द्वार लगा यह तो सांसदजी के कार्यालय में उपलब्ध सुची ही बता सकती है।
सांसदजी सुची का बैनर लगवाइये.!
‘मातृभूमि संकल्प’ के युवा नेतृत्वकार सुरेन्द्र पाठक (गुड्डू) सहित विभिन्न गांव के दर्जनों सार्वजनिक धार्मिक संस्थाओं के सैकड़ों पदाधिकारियों ने दावा किया है कि उनके गांव-समाज में सार्वजनिक ‘सोलर लाइट’ किस नाम पर प्रस्तावित दर्ज हुई और कहां लगी..?इसकी जानकारी के लिये सांसद कार्यालय को पत्र लिखेंगे। यदि सांसद द्वारा उक्त सुची का बैनर उनके गांव-समाज में लगा दिया जाय तो अधर्मी स्वयं बेनकाब होंगे और ‘सांसदजी’ का धार्मिक पथमय सम्मान किया जायेगा।
इसी क्रम में आगे – जमीनी हकीकत (३) – में पढ़िये…सांसद-विधायक द्वारा सार्वजनिक ‘चौरामाई धाम’ को समर्पित ‘सोलर लाइट’ खा गया राजनीतिक पंडा..!
[…] […]